कविता

तेरे होने से

सुनहरा संसार है
खुशियों का आसार है
जीवन में सार है
खेलती बहार है
—तेरे होने से

नूतन संसार है
हर पल अभिसार है
सौरभमय बयार है
हर दिन त्यौहार है
—–तेरे होने से

थिरकता प्यार है
हर दिन उपहार है
ढाई आखर स्वीकार है
हर शै पर ऐतबार है
—–तेरे होने से

— प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]