तेरे ख्याल ने फिर
चंद अल्फाजों में कैसे
हाले-दिल बयां कर दें !
तेरे ख्याल ने फिर… दिल को है उदास किया !!
एतबार अब न रहा
हाथों की इन लकीरों पर !
तूँ तकदीर था ही नहीं… क्यों लकीरों पर विश्वास किया !!
जो पलकों से गिरे
आँसूं नहीं, ख्वाब थे मेरे !
टूटे ख्वाबों ने फिर… दिल से है परिहास किया !!
कोशिश करके भी
टूटे दिल नहीं बसते !
क़ब्रगाह में कब… जिन्दा-दिलों ने निवास किया !!
अंजु गुप्ता