क्षणिकाएँ
-1-
दुखता है ये दिल,
और बात बस इतनी है…
तुम मेरे हो, पर मेरे नहीं हो !!
-2-
फर्क है…
तेरे और मेरे समर्पण में !
मैं तुझको और तू मेरी देह को
समर्पित है ! !
-3-
बिन तेरे….
यूँ तो हम अधूरे नहीं हैं,
पर जाने फिर भी क्यों…
हम पूरे नहीं हैं !!
-4-
बैठे तो थे….
शिकायतों का पुलिंदा लेके हम !
बाहों में लेके उसने…
सब कुछ भूला दिया !!
-5-
करीब आओ,
खुद को समा लो मुझको !
दिलों के फासले, गलतफहमियां बढ़ाते हैं !!
-6-
ज़ख्म मेरे दिल के वो…
कुछ इस तरह भरता रहा
माँग माफ़ी, पिछली खता की
नई खता करता रहा !!
-7-
कुछ भी नहीं है यूँ तो,,,
तेरे-मेरे दरमियां !
पर शिकायतों का दौर,
जाने क्यों… थमता नहीं है !!
-8-
ज़ख्म दिलों के,,,
यूँ तो दिखते नहीं हैं !
मगर कैसे सोचा… कि दुखते नहीं हैं !!
— अंजु गुप्ता