गज़ल
झूठें सब फसाने सुनाने से क्या फायदा
बेवज़ह किसी को सताने में क्या फायदा.
बड़े बोल को सुनाने से भला क्या फायदा
दूसरें मसलों में टांग अड़ाने में क्या फायदा.
हिम्मत है तो जाओ तुम मदद सुझाब को
बातें उसकी बढ़-चढ़ फैलाने में क्या फायदा.
दो अधिकार भी बेटी को भी बराबर का सा
वरना पढाई लिखी करानें का क्या फायदा.
बन जाए जो हो ज़हाँ की तवाही का कारण
“मैत्री भला ऐसी बारिश का जाने क्या फायदा.
— रेखा मोहन