क्षणिका

क्षणिकाएँ

इश्क

ऐ काश !
ये वक़्त ठहर जाता
और ठहर जाता,
हम – दोनों में
वो बीता हुआ इश्क़ !!

तेरे बिन

बिन तेरे….
यूँ तो हम,
अधूरे नहीं हैं,
पर जाने फिर भी क्यों….
हम पूरे नहीं हैं !!

कलयुग

सतयुग नहीं,,,
वो भी कलयुग था !
जब इन्द्र सम पुरुष
धर छद्मवेश
करते थे शीलहरण
और शाप की भागी
बनती थी नारी !
और…
ये तो कलयुग ही है !!

त्रासदी है….

घबरा के,,,
छुप – छुप के,
किताबों में घुस के
जूझते देखा…
नादान बचपन को
जानने “शब्दों का” अर्थ,
जो सुने थे उसने
पहली बार
विद्यामंदिर के बाहर…
मनचलों के मुख से ।

ख़ामोशी

सुनते थे ये सब कि…
खामोशियों की भी जुबां है !
खामोश मेरे लब हैं
और….
वो मुझसे बेखबर हैं !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed