गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

दुनिया है पास फिर भी तेरा इंतजार है
आओगे एक दिन तुम मुझे ये ऐतबार है।

लब साथ नहीं देते कुछ तुमसे कह सकूं
धड़कन को छूके देख लो दिल बेकरार है।

हम जिसपे मर मिटे है उसको खबर नहीं
दिल चीज क्या है अबतो ये जां निसार है।

शिकवा नहीं है तुमसे न तुमसे कोई गिला
सीने में जो ये दिल है यही गुनहगार है।

जाने मुझे हुआ क्या गुमसुमसी हो गयी हूँ
ये कैसी बेकरारी है जिसमें करार है।

गम है मुझे के तुमको क्यों आता नही यकीं
कैसे कहूं कि तुमसे मुझे कितना प्यार है।

ऐतबार पर तुम्हारे दिल दांव-पे रख दिया
तेरी हां यह न में मेरे दिल की जीत हार है।

कब जानकर ओ जानिब दिल कोई लगाता है
जब मालूम हो यह प्यार ही करता बेजार है।

— पावनी जानिब 

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर