प्यार लाया परिवर्तन
कितने अजीब होंगे वे लोग जो प्यार जैसी फालतू बातों में पडकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं ।अरे जिंदगी तो ऐश करने के लिए है। आसपास जाने कितने रंगीन चेहरे हैं दिल बहलाने के लिए। जिसे इशारा कर दो, पलक झपकते ही चली आएगी।” दोस्तों के बीच प्यार का मजाक उड़ाने वाला रोहित आज हतप्रभ उसके गाल पर तमाचा जड़ कर जा रही शेफाली को अपलक देख रहा था। उसका एक हाथ बाइक का हैंडल पकड़े हुए था और दूसरा गाल सहला रहा था दरअसल शेफाली कुछ दिन पहले ही उसके कॉलेज में आई थी सीधी साधी साधारण वेशभूषा वाली शेफाली ज्यादा लोगों से घुल मिल नहीं पाई थी। क्लास की लड़कियों से उसने रोहित और उसके दोस्तों के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था।
शेफाली रोहित तो क्या, किसी भी लड़के की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखती थी । लड़कों को यह गंवारा नहीं था। इसलिए उन्होंने रोहित को उकसाया कि वह शेफाली को अपने जाल में फंसा कर दिखाए। यदि उसने ऐसा कर दिया तो उसे मनचाही जगह पर पार्टी मिलेगी । रोहित ने उनके इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार करते हुए हामी भर दी। उसे अपने ‘गुड लुक्स’ और’ अमीरी ‘पर कुछ ज्यादा ही घमंड था। इन्हीं के दम पर लड़कियां उसकी ओर सहजता से आकर्षित हो जाती थीं। रोहित ने शेफाली का ध्यान आकृष्ट करने के लिए जतन करने प्रारंभ कर दिए किंतु सब बेकार। अंत में एक दिन झल्लाकर कॉलेज कैंपस में सबके सामने उसने शेफाली का हाथ पकड़ लिया और बदले में शेफाली ने उसे झन्ना टेदार तमाचा रसीद करते हुए दोबारा ऐसा न करने की चेतावनी दे डाली। रोहित को लगा कि कहीं शेफाली कॉलेज प्रबंधन से शिकायत न कर दे और बात घर तक पहुंच जाए लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
रोहित रात भर शेफाली के बारे में सोचता रहा।उसे न जाने क्यों उसके ऊपर क्रोध भी नहीं आ रहा था। उसके जीवन में यह पहली लड़की थी जिसे उसके बाह्य व्यक्तित्व और आडंबर से कोई सरोकार नहीं था। सम्भवतः इसी कारण से वह चाहकर भी खुद को उसके विचारों से मुक्त नहीं कर पा रहा था। आज पहली बार अपने व्यवहार से ग्लानि का अनुभव हो रहा था। उसे पहली बार यह एहसास हो रहा था कि लड़कियों को लेकर उसकी सोच कितनी गलत थी। हर लड़की केवल शारीरिक सौंदर्य और धन वैभव पर फ़िदा नहीं होती। कितनी अलग है वह। उसने शेफाली से माफी मांगने का निर्णय लिया। वहां शेफाली को भी यह महसूस हो रहा था कि उसे रोहित को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।
अगली सुबह नई ताजगी लिए थी। रोहित कॉलेज पहुंचा और शेफाली के आते ही उससे माफी मांगी और यह भी कहा कि यदि वह चाहे तो वह सबके सामने भी उससे माफी मांग सकता है। शेफाली ने उसे ऐसा कुछ न करने को कहते हुए कहा कि तुम्हें अपनी गलती का एहसास है यही काफी है। मुझे अब तुमसे कोई नाराजगी नहीं है। मैं भी तुमसे कल की बात के लिए माफी मांगना चाहती हूं। मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। रोहित ने उसके सामने दोस्ती का प्रस्ताव रखा तो उसने स्वीकार कर लिया क्योंकि उसने यह अनुभव किया कि रोहित इतना भी बुरा नहीं है जितना कि वह समझती थी। रोहित को शेफाली का साथ अच्छा लगने लगा था। उसके कहने पर वह नियमित लेक्चर अटेंड करने ,लाइब्रेरी जाने और पढ़ाई में मन लगाने लगा था। उसे शेफाली की छोटी से छोटी बात और सलाह याद रहती थी। सभी लोग उसके व्यवहार में आए इस परिवर्तन से आश्चर्यचकित थे। खराब स्वास्थ्य के कारण शेफाली दो दिनों तक कॉलेज नहीं आ सकी तो वह बेचैन हो उठा। उसने उसका फोन पर हाल चाल पूछा और लापरवाही के लिए डांटा भी। शेफाली को भी उसकी डांट और उसकी परवाह अच्छी लगी। दोनों ही एक दूसरे का ख्याल रखते थे और ज्यादातर वक्त साथ गुजारते थे। इस दोस्ती में छिपे असीम प्यार को दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे। बहरहाल वार्षिक परीक्षा में जब वह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ तो शेफाली ने उसे खुशी से गले लगा लिया । वह अंदर तक रोमांचित हो गया। शेफाली भी शरमाकर चली गई।
रोहित सोच में पड़ गया कि कहीं यही तो वह सच्चा प्रेम नहीं है जिसके बारे में वह आज तक सुनता आया था। हां,यह वही सच्चा प्रेम था जो उसके जीवन में नयापन लेकर आया था।
शेफाली रोहित तो क्या, किसी भी लड़के की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखती थी । लड़कों को यह गंवारा नहीं था। इसलिए उन्होंने रोहित को उकसाया कि वह शेफाली को अपने जाल में फंसा कर दिखाए। यदि उसने ऐसा कर दिया तो उसे मनचाही जगह पर पार्टी मिलेगी । रोहित ने उनके इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार करते हुए हामी भर दी। उसे अपने ‘गुड लुक्स’ और’ अमीरी ‘पर कुछ ज्यादा ही घमंड था। इन्हीं के दम पर लड़कियां उसकी ओर सहजता से आकर्षित हो जाती थीं। रोहित ने शेफाली का ध्यान आकृष्ट करने के लिए जतन करने प्रारंभ कर दिए किंतु सब बेकार। अंत में एक दिन झल्लाकर कॉलेज कैंपस में सबके सामने उसने शेफाली का हाथ पकड़ लिया और बदले में शेफाली ने उसे झन्ना टेदार तमाचा रसीद करते हुए दोबारा ऐसा न करने की चेतावनी दे डाली। रोहित को लगा कि कहीं शेफाली कॉलेज प्रबंधन से शिकायत न कर दे और बात घर तक पहुंच जाए लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
रोहित रात भर शेफाली के बारे में सोचता रहा।उसे न जाने क्यों उसके ऊपर क्रोध भी नहीं आ रहा था। उसके जीवन में यह पहली लड़की थी जिसे उसके बाह्य व्यक्तित्व और आडंबर से कोई सरोकार नहीं था। सम्भवतः इसी कारण से वह चाहकर भी खुद को उसके विचारों से मुक्त नहीं कर पा रहा था। आज पहली बार अपने व्यवहार से ग्लानि का अनुभव हो रहा था। उसे पहली बार यह एहसास हो रहा था कि लड़कियों को लेकर उसकी सोच कितनी गलत थी। हर लड़की केवल शारीरिक सौंदर्य और धन वैभव पर फ़िदा नहीं होती। कितनी अलग है वह। उसने शेफाली से माफी मांगने का निर्णय लिया। वहां शेफाली को भी यह महसूस हो रहा था कि उसे रोहित को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था।
अगली सुबह नई ताजगी लिए थी। रोहित कॉलेज पहुंचा और शेफाली के आते ही उससे माफी मांगी और यह भी कहा कि यदि वह चाहे तो वह सबके सामने भी उससे माफी मांग सकता है। शेफाली ने उसे ऐसा कुछ न करने को कहते हुए कहा कि तुम्हें अपनी गलती का एहसास है यही काफी है। मुझे अब तुमसे कोई नाराजगी नहीं है। मैं भी तुमसे कल की बात के लिए माफी मांगना चाहती हूं। मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। रोहित ने उसके सामने दोस्ती का प्रस्ताव रखा तो उसने स्वीकार कर लिया क्योंकि उसने यह अनुभव किया कि रोहित इतना भी बुरा नहीं है जितना कि वह समझती थी। रोहित को शेफाली का साथ अच्छा लगने लगा था। उसके कहने पर वह नियमित लेक्चर अटेंड करने ,लाइब्रेरी जाने और पढ़ाई में मन लगाने लगा था। उसे शेफाली की छोटी से छोटी बात और सलाह याद रहती थी। सभी लोग उसके व्यवहार में आए इस परिवर्तन से आश्चर्यचकित थे। खराब स्वास्थ्य के कारण शेफाली दो दिनों तक कॉलेज नहीं आ सकी तो वह बेचैन हो उठा। उसने उसका फोन पर हाल चाल पूछा और लापरवाही के लिए डांटा भी। शेफाली को भी उसकी डांट और उसकी परवाह अच्छी लगी। दोनों ही एक दूसरे का ख्याल रखते थे और ज्यादातर वक्त साथ गुजारते थे। इस दोस्ती में छिपे असीम प्यार को दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे। बहरहाल वार्षिक परीक्षा में जब वह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ तो शेफाली ने उसे खुशी से गले लगा लिया । वह अंदर तक रोमांचित हो गया। शेफाली भी शरमाकर चली गई।
रोहित सोच में पड़ गया कि कहीं यही तो वह सच्चा प्रेम नहीं है जिसके बारे में वह आज तक सुनता आया था। हां,यह वही सच्चा प्रेम था जो उसके जीवन में नयापन लेकर आया था।
— कल्पना सिंह