लाइव शो
लाइव शो की बात निराली
मंच सजी है रंग-रंगीली
नाच रहे हैं छैल छवीले
दिखते सारे नीले-पीले
किन्नरों से करतब इनके
यहाँ आते वही, घर भरे जिनके
गंधर्वों से करते काम
उतारदें कपड़ें लेकर दाम
इंद्राशन सा हॉटशीट
मेनका-रंभा उछलें सौ-सौ फीट
फैलाकर अश्लीलता घर-घर
संस्कारों को रहे मार
क्या कहने, इनके वारे-न्यारे
लाइव शॉ बन रहे हत्यारे
वेश्यावृत्ति का खुला मंच
मेकअप वाला माल टंच
दूर के ढोल सुहाने रे
टीवी पे दिखते रंगीन नजारे
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा