कविता

लाइव शो

लाइव शो की बात निराली
मंच सजी है रंग-रंगीली
नाच रहे हैं छैल छवीले
दिखते सारे नीले-पीले
किन्नरों से करतब इनके
यहाँ आते वही, घर भरे जिनके
गंधर्वों से करते काम
उतारदें कपड़ें लेकर दाम
इंद्राशन सा हॉटशीट
मेनका-रंभा उछलें सौ-सौ फीट
फैलाकर अश्लीलता घर-घर
संस्कारों को रहे मार
क्या कहने, इनके वारे-न्यारे
लाइव शॉ बन रहे हत्यारे
वेश्यावृत्ति का खुला मंच
मेकअप वाला माल टंच
दूर के ढोल सुहाने रे
टीवी पे दिखते रंगीन नजारे
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111