ग़ज़ल
फासले सब भरा नहीं करते,
क्यों यकीं तुम ज़रा नहीं करते।
ग़म रहेंगे हयात में तब तक,
इश्क़ जब तक खरा नहीं करते।
दोस्त सच्चे सदा हँसाते हैं,
घाव दिल का हरा नहीं करते।
नूर फैला उन्हीं चराग़ों का,
जो हवा से डरा नहीं करते।
बात मरने की मत ‘अधर’ करना,
यूँ सुख़नवर मरा नहीं करते।।
– शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’