संस्मरण

पतिदेव का सरप्राइज

शादी को अभी तीन महीनें ही हुए थे। पतिदेव बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर पदस्थापित थे। जिनकी पोस्टिंग शहर से बहुत ही दूर थी। बैंक में काम की व्यस्तता के चलते उनका घर पर कम ही आना होता था। मार्च के महीने की बात है। होली का त्यौंहार भी नजदीक ही था। शादी के बाद ये हमारा पहला त्यौंहार था। जिसका परिवार में सभी को बेसब्री से इंतजार था। रीति-रिवाज अनुसार होली के पहले त्यौंहार पर और सोलह दिवस की गणगौर पूजने के लिये मुझे अपने मायके जाना था। मैं अपने मायके आ गई। शादी के बाद पहले त्यौंहार पर अपने दामाद का घर पर आने का सभी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। होली के एक दिन पहले पतिदेव का फोन आया। होली वाले दिन बैंक में छुट्टी नहीं होने और मार्च के महिने में काम की अधिकता होने के कारण उन्होनें इस बार घर पर आने से मना कर दिया। सुनकर मन उदास हो गया। मैनें धीरे से बोला प्लीज..!!और पतिदेव से घर आने का आग्रह किया। लेकिन उन्होने कहा, मैं भी घर आना चाहता हूँ…बट दिस इज नाॅट पाॅसिबल… सॉरी…। परिस्थितिवश मैं जिद नहीं कर सकी। फिर हमने फोन रख दिया। बार- बार मन में यही ख्याल आ रहा था कि अगर पतिदेव भी हमारे साथ घर पर होते तो सबकी खुशियां दुगुनी हो जाती। सुबह होली वाले दिन अपने मन को समझाकर मैं भी घरवालों के साथ शाम की पूजा की तैयारियों में लग गई। शाम को रिश्तेदार और काॅलोनी के सभी लोग होली पूजन के लिये एक साथ एकत्रित हुए। हम सब भी पूजन शुरू करने ही वाले थे। तभी मेरी छोटी बहिन नेहा जोर से चीख पडी.. दीदी…जीजू आ गये!!! इतने शोरगुल में भी सब जगह उसकी आवाज गूंज उठी। मैनें पीछे मूडकर देखा…ये क्या पतिदेव सामने खडे-खडे मन्द-मन्द मुस्कुरा रहे थे। ऐसे अचानक से आने पर सब लोग उन्हें देखकर आश्चर्यचकित थे। उस समय पतिदेव को सामने देखकर लगा जैसे मैं कोई सपना…..!!! हम सभी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। पूछने पर पतिदेव ने बताया कि उन्होंने बैंक में अधिक समय तक काम करके अपनी टास्क पूरी की और होली का त्यौहार होने के कारण ट्रेन में टिकट बुकिंग नहीं होने से खुद ही कार ड्राइव करके सीधे घर ही आये हैं। जिसकी सूचना उन्होनें किसी को भी नहीं दी थी। वो सभी को सरप्राइज देकर सबके चेहरों पर खुशी देखना चाहते थे। फिर हम सभी ने साथ में मिलकर होली पूजन किया। दूसरे दिन धूलण्डी थी। सुबह हम सभी होली खेलने के लिये एक साथ एकत्रित हुए। पतिदेव ने रिश्ते में मुझसे छोटी सभी बहिनों और बच्चों को उपहार दिये। उपहार देखकर सभी के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे।  हम सभी ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली का त्यौंहार सेलिब्रेट किया। फिर सभी ने मम्मी के हाथों से बनी हुई गुझिया, कांजी बडे, मूंग-चावल, मिठाईयां और गरमा- गरम पूरी-सब्जी खायी। सब लोग बहुत खुश थे। दामाद के आने से सबकी खुशी दुगुनी हो गई। पति का यह सरप्राइज मुझे हमेशा याद रहेगा।
— कोमल नावरिया

कोमल नावरिया

जयपुर

One thought on “पतिदेव का सरप्राइज

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    i would call him a nice husband and you are lucky to have a husband like him .

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