जादूगरनी है यह होली
जब आपस में बंद होती है बोली,
चलती बिन बन्दूक के गोली,
भागी-भागी आती है होली,
रंग-गुलाल लाती है होली,
जादूगरनी है यह होली,
दुश्मन भी बन जाते हमजोली,
फूलों की तरह खिल जाते हैं,
रंगों में रंग मिल जाते हैं,
जख्म पुराने सिल जाते हैं,
दुश्मन भी गले मिल जाते हैं,
बहकी-बहकी सबकी चाल,
डाल रहे सब एक दूजे पे गुलाल.
बहने लगी रंगों की गंगा,
चेहरा सबका रंग-बिरंगा,
बना चेहरे पर किसी के तिरंगा,
राधा मले श्याम मुख पे गुलाल
मारे पिचकारी नन्द का लाल
गोपियाँ खेलें संग बाल-गोपाल
चेहरे सबके लालों-लाल, लालों-लाल,
ऐसे खिले अब होली का रंग,
कभी न हो दुनिया में जंग,
मिलके रहें सब प्यार-अमन से
छोड़ें न कभी एक दूजे का संग,
यही तो है होली का असली त्योहार.
-सुन्दर प्रकाश चोपड़ा
सुन्दर प्रकाश चोपड़ा का संक्षिप्त परिचय-
सुन्दर प्रकाश चोपड़ा 1952 में केन्या चले गए थे, 1972 में पत्नी और 5 बच्चों के साथ इंग्लैंड आ गए. केन्या और इंग्लैंड में शिक्षक की नौकरी की. इंग्लैंड में राधा कृष्ण मंदिर स्थापित किया, लगभग 20 वर्षों तक उसके वाइस चेयरमैन रहे. वर्तमान में दोराहा लुधियाना में रिटायर्ड जीवन.
सभी पाठकों को रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
‘जादूगरनी है यह होली’ कविता से आज हम आपका एक नए कवि सुन्दर प्रकाश चोपड़ा से परिचय करवा रहे हैं.