गोल्ड मेडल
कितनी खुशी हुई होगी साठ साल के उस शो जंपर को, जिसने पहली बार एफईआई वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीता था! निश्चय ही वह अब वह घोड़े की बजाय हवा में उड़ रहा होगा!
उड़े भी क्यों न! चालीस साल से उसने मन में न सिर्फ गोल्ड मेडल जीतने का सपना पाल रखा था, उसके लिए निरंतर संघर्षरत भी रहा था. इसकी पृष्ठभूमि में कितना बड़ा संघर्ष रहा होगा, उसने मन में एक मंत्र बसा रखा था-
”संघर्ष एक ऐसा केंद्र है,
जहां से हताशाओं का व्यास कितना भी बढ़े,
संभावनाओं की परिधि कम नहीं होती.”
बीस साल की बाली उम्र से वह इस वर्ल्ड कप को जीतने का प्रयास कर रहा था. हर बार जीत की संभावना ने उसे जोश दिलाया था, हर बार होश ने उससे किनारा कर लिया था. बढ़ती उम्र के साये में उसे किनारे छूटते-से लगे थे, पर उसने अपनी संभावनाओं की परिधि को कम नहीं होने दिया था. आज उसका घोड़ा और गोल्ड मेडल उसकी संभावनाओं की असीम परिधि के साक्षी बन गए थे.
अपने से आधी उम्र के युवाओं को पीछे छोड़ इसी साक्षी को नमन कर 60 साल का वह युवा गोल्ड मेडल लेने जा रहा था.
अच्छी लघुकथा है
प्रिय अशोक भाई जी, कथा पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्द्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. बधाई के लिए बधाई.
नॉर्वे के 60 साल के शो जंपर गेयर गुलिकेसन ने पहली बार एफईआई वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीता। स्वीडन में हुए वर्ल्ड कप में गुलिकेसन ने शो-जंपिंग इवेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान हासिल किया। गुलिकेसन 40 साल से ज्यादा समय से शो-जंपिंग कर रहे हैं। लेकिन गोल्ड पहली बार जीता।
उन्होंने अपने से आधी उम्र के खिलाड़ियों को हराया। गुलिकेसन जब मेडल लेने जा रहे थे, तब उनके घोड़े ने उन्हें गिरा दिया। स्विट्जरलैंड के 23 साल के ब्रायन बेलसिगेर दूसरे नंबर पर रहे।