तिरंगे को उठाया है तो….
तिरंगे को उठाया है तो तुम इसका सम्मान भी करना।
दिल में कुछ होंठों पे कुछ हो ऐसा कोई काम न करना।
तुम वही हो वही वतन है, डर है या फैलाया गया है;
कुछ बहके हैं कुछ नासमझ कुछ को भ्रमाया गया है।
वो जो कल अपने थे,आज भी अपने हैं पराए नहीं हैं;
क्यों बहकावे में आकर कहते हम वतन के साए नहीं हैं।
याद करेंगे सब हमेशा अब्दुल कलाम से नगीनों को;
करते नाम रोशन जो सबका, सलाम ऐसे मस्तानों को।
मज़हब तो हमें यूं कल भी लड़ना सिखाता नहीं था;
या फिर पहले किसी को नफरत फैलाना आता नहीं था।
आज फिर नफरत कहां से इतनी भर आई है;
लगता हवा है जो कहीं से ज़हर घोल कर लाई है।
जागो,सोचो और समझो शिक्षा को न बदनाम करो;
विधा के मंदिर में न छुपे मकसद को कामयाब करो।
देश हित में सोचो विश्व देख रहा हैरान निगाहों से;
क्या याद करेगा इतिहास वरना सिसकती आहों से।
पहले हम पर मातृभूमि का कर्ज सर्वोपरि होता है;
मज़हब ,जाति तो सब बाद में जीवन में होता है।
है गर्व उस पर जो भी वतन की परवाह करता है;
देशहित के ऊपर न जो अपने मज़हब को रखता है।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !