मुक्तक/दोहा

हमीद के दोहे

देश  हमारा  एक  है, जिसका  भारत  नाम।
प्यार मुहब्बत से रहो,नफरत का क्या काम।
डर  ही  तो  है आपका, कुछ का कारोबार।
दुनिया  यारो  हो  गयी , एक बड़ा  बाज़ार।
गाली  देते   फिर  रहे , सब  को  बारम्बार।
मुझको उनका लग रहा ,नफरत कारोबार।
किरदारों पर ठीक से,करिये  ज़रा  विचार।
अच्छों को  ही  दीजिये,वोटों  का  उपहार।
कागजात  उस   केस  के , उठा  ले  गये  चोर।
कलतक जिसकी जाँच का,बड़ा मचा था शोर।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415