लघुकथा

अवसरवादी

अवसर का लाभ उठाकर अपना काम सिद्ध कर लेने वाला ही अवसरवादी कहलाता है। इंसान को जीवन में बहुत से ऐसे अवसर मिलते हैं जिसमें वह अपने हित के काम साध सकता है और कुछ लोग साध भी लेते हैं। खास तौर पर सरकारी कार्यों में अपना हाथ जगन्नाथ करने का हर किसी का प्रयास होता है। किन्तु उन्हें ये नहीं पता होता कि इस कार्य में वे अपने ही धन और समान की चोरी कर रहे होते हैं। किसी भी सूरत में देशहित , मानवहित में अवसरवादी नहीं बनना चाहिए। इससे सम्पूर्ण जगत बेहद स्वार्थी एवम् हीन मानसिकता वाला हो जाएगा,अर्थात अवसरवाद का लाभ एक हद तक सीमित अच्छा होता है, अवसरवादी होना बहुत ही बुरा होता है।

किसान की बात सुनकर बहू ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह किसी बात की चिंता न करें। उस एक महीने के‍ लिए भी अनाज का इंतजाम हो जाएगा।

जब पूरा वर्ष उनका आराम से निकल गया तब किसान ने पूछा कि आखिर ऐसा कैसे हुआ?

बहू ने कहा- पिताजी जब से आपने मुझे राशन के बारे में बताया तभी से मैं जब भी रसोई के लिए अनाज निकालती उसी में से एक-दो मुट्‍ठी हर रोज वापस कोठी में डाल देती। बस उसी की वजह से बारहवें महीने का इंतजाम हो गया।

-– रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]