दर्द का कर्ज़
अफसोस नहीं है अपने दर्द का
जो तूने दिए तो और जमा हुए
बन गया मैं दर्द का सौदागर
तेरे दर्द देने से और अमीर हुए
कौन कहता है कि मैं गरीब हूँ
ख़ुशी बांटने से हम रहीश हुए
लोग बेवजह ही दर्द देते गए
हम खामखां उनके कर्जदार हुए
– रमाकांत पटेल