कविता

सूद उगता नहीं

मैं लिखता हूँ बिकता नहीं,
चट्टान के आगे रूकता नहीं।
जो करते वायदे झूठे हैं,
मेरा शब्द उन पर थूकता नहीं।
जमीर बेचकर अकड़ा जो,
जली रस्सी सा झूकता नहीं।
जो अमन की लो जगाता है,
दिया उसका कभी बुझता नहीं।
नींव जिस की कच्ची है,
गिर जाता जो पुकता नहीं।
दिल पक्का चोटें खा खा कर,
वो गम गहरे से दुखता नहीं।
वो नज़र पारखी क्या करे,
पहचान जिस के मुक्ता नहीं।
वो देश तरक्की क्या करे,
कर्ज जिस का चुकता नहीं।
वो नीरस मन तजोरी सा,
जिस में सूद उगता नहीं।
शिव कैसा मन कवि का
मन भाव जिस के उठता नहीं।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995