लघुकथा

पुनर्जीवन

बचपन से ही पिता के अध्यात्म की लोरी और माता के सरस स्नेह के साये में पली स्नेहा आज बहुत खुश थी. आज उसको ही नहीं भारतीय संस्कृति को भी पुनर्जीवन जो मिला था.

स्नेहा की रुचि देखकर पिता उसे अपने साथ सत्संग-कीर्तन में साथ ले जाते थे.

उस समय घरों में स्टडी रूम का रिवाज न के बाराबर था, पर स्नेहा की प्रतिभा और लगन से उसके लिए स्टडी रूम भी बनवा दिया गया था. यहीं वह खुद भी पढ़ती थी और छोटे भाई-बहिनों को भी पढ़ाती थी. रात को अंदर कुंडी लगाकर वहीं बिछे पलंग पर सो जाती थी. सुबह पिताजी प्रभाती गाकर उसे जगाते थे. फिर उसे पिताजी के जोर-जोर से सुर-लय-ताल में गाए सुरीले भजन सुनने को मिलते.

शाम को अहाते में बनाए बहुत सुंदर दूब के कालीन पर आंखें बंद करके बड़े ध्यान घर के चार सदस्य भजन-आरती की महफिल जमाते. एक-के-बाद एक भजन चलता जाता, जब आंखें खुलतीं तो चालीस लोगों को ध्यान-मग्न हो भजन सुनते-गाते देखा जा सकता था. स्नेहा के हाथ में हारमोनियम-मंजीरा-चिमटा-खड़ताल जो आता सुर-लय-ताल में बजाती. पिताजी की तरह उसे भी लगभग दो-ढाई सौ भजन मूजबानी याद हो गए थे.

विवाह के बाद माहौल में परिवर्तन आ गया था. कभी हनुमान चालीसा पढ़ने लगती तो ”किसके लिए मंत्र पढ़ा जा रहा है?” जैसे नुकीले बाण चलने लगे.

सुकून के लिए गायत्री मंत्र भी चुपचाप मन में पढ़ लिया करती. धीरे-धीरे उसने सैर और कीर्तन में आनंद की तलाश करनी शुरु कर दी थी.

फिर भारतीय संस्कृति की विशेषता की याद दिलाते हुए इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए देशवासियों से कहा, ”कोरोना से बचना है तो करें ‘नमस्ते’.

डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसका अनुमोदन और अनुसरण किया और करवाया.
भारतीय अंदाज में अभिवादन करना यानी ‘नमस्ते’ करना हमसे दूर हो रहा था. ‘नमस्ते’ का विकल्प हमें पुरातनपंथी लग रहा था. हम हाथ मिलाने को ही आधुनिकता समझने लगे थे. अब दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते-नमस्कार-प्रणाम करना शुरु हो गया था.

भारतीय संस्कृति की बहुत-सी भूली-बिसरी यादों को ताजा किया गया.

गूगल अर्थ में लोगों को स्वास्तिक का अक्स दिखने लगा है.

महामारी के इस प्रभाव के बारे में किसी ने नहीं सोचा होगा. पहली बार पर्यटक स्थलों की नहरों का पानी इतना साफ नजर आ रहा है कि मछलियां दिखने लगी हैं. हंस भी लौट आए हैं.

आज स्नेहा को भी घर में ही ॐ का जाप करने. ताली बजाकर एक्यूप्रेशर करने, आरती के समय घंटी बजाने, गायत्री और मृत्युंजय जैसे मंत्र पढ़ने और सिखाने का अवसर मिल गया था.

फ़िलहाल तो कोरोना वायरस के भय व्याप्त माहौल ने उसके दुःखद अकेलेपन को पीछे धकेलकर सुकूनमय एकांतवास में परिवर्तित कर दिया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “पुनर्जीवन

  • लीला तिवानी

    ताकि देश को पुनर्जीवन मिल सके-
    कोरोना वायरस के कारण देश कठिन दौर से गुजर रहा है। इस वैश्विक महामारी से खतरे के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रात को देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग की अपील की है। पीएम मोदी ने कहा कि 22 मार्च को देश में जनता कर्फ्यू लागू होगा जो कि सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जारी रहेगा। पीएम ने कहा कि यह जनता के लिए जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की है कि जितना संभव हो वे घरों से निकलने से बचें।

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