बाइस मार्च दो हजार बीस का
मंजर देख हृदय गदगद हो गया,
हम अनुशासित थे,अनुशासित हैं
अनुशासित ही रहेंगे,
बिंधे माला में एक साथ विश्व गुरू का संदेश देंगें।
कोरोना तो क्या चीज है,
फतेह की हैं बड़ी-बड़ी ताकतें हमने।
हम वंशज हैं उस राम के
जो नहीं घबराए रावण से।
हम वंशज हैं उस कृष्ण के
जो डरे नहीं उस कंस से।
जीता हल्दीघाटी का युद्ध
हम वंशज महाराणा प्रताप के।
छक्के छुड़ा दिए अंग्रेजों के,
हम वंशज उस लक्ष्मीबाई के।
भारत माँ के लाल भारतीय
संस्कृति में रचते बसते हैं।
नहीं एक दो देश, विश्व को
बदलने की हिम्मत रखते हैं।
— निशा नंदिनी भारतीय