गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल 

लगे सूरत शिकारी
तो कर सीरत से यारी

बचे कैसे जहां से
जवां बिरहा की मारी

फ़क़त मुफ़लिस को लूटें
ये मंदिर के पुजारी

जो तेरा ग़म न समझे
उसी पर अश्कबारी

हमारे काम आई
हमारी ख़ाक़सारी

— बलजीत सिंह बेनाम

बलजीत सिंह बेनाम

सम्प्रति:संगीत अध्यापक उपलब्धियाँ:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ सम्पर्क सूत्र:103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी हाँसी:125033 मोबाईल:999626610