ग़ज़ल
क्या नयी है, क्या पुरानी आखिरी है,
ये तेरा किस्सा, कहानी आखिरी है।
जान जिसने दी वतन के वास्ते,
अब नहीं है, ये जवानी आखिरी है।
अपनी ताकत पे न कर झूठा गुमां,
एक ताकत आसमानी आखिरी है।
तू भले खातों में रख अपना हिसाब,
जोड़ रब का मुंहजबानी आखिरी है।
शर्मों, हया के बांध हैं रीते सभी,
लाज का आंखों में पानी आखिरी है।
सब्र कर ‘जय’ दिन उजाले आएंगे,
ये अंधेरा, ये वीरानी आखिरी है।
— जयकृष्ण चांडक ‘जय’
हरदा म प्र