लघुकथा

जल है तो कल है

“पापा घर में बैठे बैठे बोर हो गया हूँ । पहले तो आपको ऑफिस वालों ने वर्क एट होम शुरू करवाया । बाद में मेरा इण्टनेशनल स्कूल वालों ने क्लास एट होम की व्यवस्था कर दी ।”
“अब आप ही बताओ बिना घर से बाहर निकले पिछले पंन्द्रह दिनों से रह रहा हूँ । थक गया हुँ पापा ; चलो ना कहीं बाहर घूम आते हैं ।”
“बेटे आपकी स्थिति और बेबसी का मुझे अहसास है। चलो बालकनी में कुछ देर बैठते हैं, मन बहल जायेगा ।”
“ठीक है पापा माँ को भी बुला लेते हैं ।”
“नहीं मेरे बच्चे ; तेरी माँ को आजकल सारा दिन रसोई एवं साफ-सफाई खुद संभालने पड़ते हैं । वह पूरी तरह थककर चूर हो जाती है ।”
“ओह सॉरी पापा ; मुझे इसका ध्यान नहीं रहा ।”
“ओके नो प्रॉब्लम ।”
अचानक बालकनी से बाहर कुछ बच्चे बाहर दिखाई दिये !
“ओ पापा ! इधर देखिये उन बच्चों को ! क्या उनके पापा बैड पापा हैं ?”

सामने सड़क पर पानी की तलाश में बच्चों की टोली ललचाई नजरों से अपार्टमेंट की ओर देख रहे थे ।
उनका दिल भर आया, लेकिन वो बेबस थे, क्योंकि सिक्योरिटी गार्ड उन बच्चों को पानी लेने की इजाज़त नहीं देगा यह उन्हें भलिभांति पता था । आँखें नम हो गई

“पापा बोलो ना पापा ; उन बच्चों के हाथ में प्लास्टिक के इतने सारे डब्बे क्यों हैं ? क्या उन्हें कोरोना से डर नहीं लगता ?”
“लगता है मेरे बच्चे ; कोरोना से शायद वह बच भी जायें । असल लड़ाई तो उन बच्चों को एवं उनके परिवार वालों को रोज लड़नी पड़ती है ।”
“रोज कुआँ खोदकर अपनी भूख एवं प्यास मिटाना उनकी नियति है ,क्योंकि शिक्षा का अलख आज भी उन्हें जगाने में असफल है ।”
“क्यों पापा….?”

— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - [email protected]