कोरोना वायरस का अक्षम्य अपराधी चीन है
प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने बहुत पहले, अपने जीवनकाल में ही मानवप्रजाति को आगाह करते हुए कहा था कि ‘जेनेटिक इंजिनियरिंग से खिलवाड़ करने के बहुत ही गंभीर परिणाम होंगे। ‘वे इसके मानवप्रजाति पर पड़नेवाले भयावह परिणाम की चेतावनी दे दिए थे, परन्तु चीन, अमेरिका और इजरायल जैसे देश, विभिन्न तरह के रोगों के खतरनाक किटाणुओं व वायरसों के जीन में हेर-फेरकर, उन्हें मानवप्रजाति के लिए और अत्यधिक खतरनाक बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। उदाहरणार्थ अमेरिका के विस्कॉन्सिन मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक ने ‘स्वाइन फ्लू ‘ के जीन में परिवर्तन करके, उसे इतना खतरनाक बना दिया कि उसका मुकाबला मनुष्य का इम्यून सिस्टम के बस की बात नहीं है, न ही उससे बचाव के लिए कोई दवा है, न कोई टीका है !
वैज्ञानिकों के अनुसार, अभी चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस के संक्रमण से अब तक हजारों लोगों की अमूल्य जाने जा चुकीं हैं, वे ऑकस्मिक और प्राकृतिक तथा स्वाभाविक न होकर, चीन द्वारा जानबूझकर वायरसों के जीन में बदलाव कर, उन्हें और ज्यादे खतरनाक वायरस बनाने के लिए वुहान नामक शहर में बाकायदा ‘इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ नामक प्रयोगशाला (पी-4) बनाकर उसमें इस प्रकार के ऐसे ख़तरनाक वायरस तैयार करने की तकनीक इजाद किया कि उन पर न तो मनुष्य के शरीर की इम्यून सिस्टम सक्षम हो पा रहा है न उस पर कोई दवा का असर हो रहा है ! आज किसी गलती या लापरवाही से वुहान शहर स्थित इस प्रयोगशाला ‘इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ‘ में कृत्रिम रूप से तैयार इस अत्यंत ख़तरनाक वायरस के लीक होकर, बाहर आने से, ये चीन सहित दुनियाभर में आज तबाही मची हुई है। इस बात को बल इसलिए मिल रहा है, क्योंकि इसी वुहान शहर से 1996 में ‘बर्ड फ्लू ‘ फैला था, फिर 2003 में ‘सॉर्स ‘ नामक वायरस का अचानक प्रकोप हुआ था, उसके बाद 2012 में ‘मर्स ‘नाम के वायरस फैले थे, उक्त इन वायरसों द्वारा फैले संक्रमण से दुनिया केे दर्जनों देशों के हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
कल्पना करें ऐसे खतरनाक जीवाणुओं की भारी मात्रा में निर्माण करके, अपने शत्रु देशों के लोगों पर अपने गोपनीय ड्रोन विमानों या इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के वारहेड में लगातार गुपचुप तरीके से छिड़काव कर दें, जिनकी न कोई दवा है, न टीका, न मानव शरीर में उनके विरूद्ध कोई प्रतिरोधक क्षमता, तो उस भयावह मंजर की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है, क्योंकि ये खतरनाक एक कोशिकीय विषाणु पलक झपकते ही खतरनाक ढंग से संक्रमित, बिखण्डित होकर लाखों-करोड़ों मनुष्यों को अपने आगोश में लेकर, उन्हें चुपचाप मौत की नींद सुला देंगे।
इसलिए इस तरह के भयानक प्रयोग, चीन के कोरोना वायरस की तरह, उस सृजनकर्ता देश सहित, समस्त मानवप्रजाति के लिए कहीं भयंकरतम् अभिषाप न बन जाय, इसलिए इस प्रकार के मानवहंता राक्षसी प्रवत्ति पर हर हाल में रोक लगनी ही चाहिए, जनकल्याणकारी वैश्विक संगठनों को इस प्रकार के, ख़तरनाक जैविक हथियार बनाने के कुकृत्य पर, हर हाल में रोक लगाने के लिए, अभी से अपने जोरदार अभियान और संघर्ष छेड़ देना चाहिए ताकि वैश्विक स्तर पर कोई बड़ा हादसा होने से पूर्व ही व पहले से ही हजारों परमाणु, हाईड्रोजन व नाइट्रोजन बमों की बारूद की ढेर पर बैठी, यह असुरक्षित दुनिया, भविष्य में और ‘असुरक्षित ‘न हो सके।
आखिर ऐसे मानवहंता वायरस बनाने के जघन्य, अक्षम्य अपराध में चीन को दण्डित करने के लिए दुनिया के समस्त विश्व के देश मिलकर के संयुक्त मंच ‘संयुक्त राष्ट्र संघ ‘का उपयोग क्यों नहीं करते ! आज ‘कोरोना वायरसजनित जानलेवा रोग कोविड-19 ‘से समस्त विश्व की ‘मनुष्यप्रजाति ‘का अस्तित्व ही गंभीर संकट में पड़ा हुआ है ! आखिर संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अन्तरर्राष्ट्रीय मंचों की क्या उपयोगिता और उपादेयता है ? चीन पर ‘इस कुकृत्य ‘ से आज विश्वमानवता का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया है, आज का संकट द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गये परमाणु बमों की दिलदहला देने वाली विभीषिका के संकट से किसी भी तरह कम नहीं है ! आज सम्पूर्ण विश्वमानवता ‘कोरोना जैसे सूक्ष्म वायरस ‘के भयावह मारक क्षमता से सहमा हुआ है, चीन से हजारों किलोमीटर दूर विभिन्न देशों यथा इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे देशों में हजारों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं और लाखों लोग संक्रमित हैं, ऐसे दारूण हालात में संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे वैश्विक मंच से समूचे विश्व की तरफ से चीन को ‘इस तरह के गंभीर अपराध करने ‘के विरूद्ध यह चेतावनी तो दी ही जा सकती है कि ‘वह भविष्य में ऐसे कुकृत्य की पुनरावृत्ति न करे, जिससे समस्त विश्व की मानवप्रजाति की जान ही सांसत में है। ‘
— निर्मल कुमार शर्मा