गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

खुशी की बात है खुशियां दूर तक महक लुटाती हैं
कि बुलबुल आशियां से आसमां तक उड़ती जाती हैं

किरण दीपक की कहती है पतंगों से चले आओ
किरण सूरज की चुपके-से चमक छितराती जाती हैं

महक फूलों की कहती है ये मोरों चले आओ
महक बगिया की चुपके-से महक बिखराती जाती है

ललक बदरी की कहती है पतंगों से चले आओ
ललक बादल की चुपके-से ललक बिखराती जाती है

कोशिशें मानव को कहती है कि कोशिश करते ही आओ
कोशिशें मानव की अक्सर सफल करवाती जाती हैं

— लीला तिवानी

 

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244