गीतिका
खुशी की बात है खुशियां दूर तक महक लुटाती हैं
कि बुलबुल आशियां से आसमां तक उड़ती जाती हैं
किरण दीपक की कहती है पतंगों से चले आओ
किरण सूरज की चुपके-से चमक छितराती जाती हैं
महक फूलों की कहती है ये मोरों चले आओ
महक बगिया की चुपके-से महक बिखराती जाती है
ललक बदरी की कहती है पतंगों से चले आओ
ललक बादल की चुपके-से ललक बिखराती जाती है
कोशिशें मानव को कहती है कि कोशिश करते ही आओ
कोशिशें मानव की अक्सर सफल करवाती जाती हैं
— लीला तिवानी