गलतियां हमारी तू माफ़ कर
हे प्रभु क्षमा कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर,
मानवता दिखलाने का तू एक हमें दे दे अवसर,
नहीं रुक रहे आंसू, ऐसा दर्दनाक ना घात कर,
पश्चाताप करने का, एक अवसर हमें प्रदान कर,
दिखा कर दया, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।
हर तरफ़ लाशों के ढेर, अश्कों में डूब रहा संसार,
अंतिम विदाई को भी, नहीं मिल पा रहा सम्मान,
जो छोड़ गये दुनिया क्या थी बता उनकी गलती ?
दहल रही दुनिया पूरी, मौत सामने खड़ी दिखती,
ऐसा तू जुल्म ना कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।
कैसा भेजा यमदूत, बर्बाद कर रहा यहां तेरी सृष्टि,
तेरी रचना को बचा सकें, दे दे हमें तू इतनी शक्ति,
बीमारी का रूप लेकर, कैसा यह काल आया है?
तू चाहे तो पल में बदल दे, वक्त जो ख़राब आया है,
हे प्रभु अंधेर ना कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।
क्यों दे रहा है दर्द इतना, बता तेरा इरादा क्या है?
संसार को समाप्त करने का क्या तूने मन बनाया है?
सुन धरा पर ऐसा क्रंदन, क्या तुझे नहीं आता रुदन?
नहीं समझ रहे जो, उन्हें समझाने का तू ही जतन कर,
हम पर यह एहसान कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)