कविता

गलतियां हमारी तू माफ़ कर

हे प्रभु क्षमा कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर,
मानवता दिखलाने का तू एक हमें दे दे अवसर,
नहीं रुक रहे आंसू, ऐसा दर्दनाक ना घात कर,
पश्चाताप करने का, एक अवसर हमें प्रदान कर,
दिखा कर दया, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।

हर तरफ़ लाशों के ढेर, अश्कों में डूब रहा संसार,
अंतिम विदाई को भी, नहीं मिल पा रहा सम्मान,
जो छोड़ गये दुनिया क्या थी बता उनकी गलती ?
दहल रही दुनिया पूरी, मौत सामने खड़ी दिखती,
ऐसा तू जुल्म ना कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।

कैसा भेजा यमदूत, बर्बाद कर रहा यहां तेरी सृष्टि,
तेरी रचना को बचा सकें, दे दे हमें तू इतनी शक्ति,
बीमारी का रूप लेकर, कैसा यह काल आया है?
तू चाहे तो पल में बदल दे, वक्त जो ख़राब आया है,
हे प्रभु अंधेर ना कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।

क्यों दे रहा है दर्द इतना, बता तेरा इरादा क्या है?
संसार को समाप्त करने का क्या तूने मन बनाया है?
सुन धरा पर ऐसा क्रंदन, क्या तुझे नहीं आता रुदन?
नहीं समझ रहे जो, उन्हें समझाने का तू ही जतन कर,
हम पर यह एहसान कर, गलतियां हमारी तू माफ़ कर।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

रत्ना पांडे

रत्ना पांडे बड़ौदा गुजरात की रहने वाली हैं । इनकी रचनाओं में समाज का हर रूप देखने को मिलता है। समाज में हो रही घटनाओं का यह जीता जागता चित्रण करती हैं। "दर्पण -एक उड़ान कविता की" इनका पहला स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त बहुत से सांझा काव्य संग्रह जैसे "नवांकुर", "ख़्वाब के शज़र" , "नारी एक सोच" तथा "मंजुल" में भी इनका नाम जुड़ा है। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। ईमेल आई डी: [email protected] फोन नंबर : 9227560264