कविता

शहर अंजान हो गया

कोरोना के  कहर में  , अपना ही शहर अंजान हो गया
सुनसान हुए चौक – चौराहे
बाजार वीरान हो गया ,
तिनके – तिनके से जहां थी दोस्ती ,
पहचान ही गुमनाम हो गया ,
लापता हो गई यारी – दोस्ती ,
मुल्तवी हर काम हो गया ,
एक अंजाने  – अनचिन्हे डर के आगे ,
बेबस – बेचारा विज्ञान हो गया
— तारकेश कुमार ओझा 

*तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) पिन : 721301 जिला पश्चिम मेदिनीपुर संपर्क : 09434453934 , 9635221463