राजनीति

संकट की घड़ी में भी लापरवाह अराजक तत्व और बयान बहादुर

कोरोना वायरस के आतंक के कारण आज अधिकांश वैश्विक समुदाय लाकडाउन की स्थिति में पहंुच गया हेै। यूरोपियन देशों की हालत बहुत ही गंभीर व दुःखद हो चुकी है। इस वायरस की चपेट में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन से लेकर कई देशोें की मशहूर हस्तियां भी चपेट में आ चुकी है। एक प्रकार से वायरस की महामारी के कारण पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया है। इस हाहाकार का असली अपराधी कौन है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। अभी किसी भी व्यक्ति या देश को कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार नहीं बताया जा सकता।
कोरोना वायरस रूपी आंधी भारत में भी पहुंच चुकी है। आज पूरा भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना वायरस के खिलाफ एक ऐसी लड़ाई लड़ रहा है जो बहुत ही अदभुत, अकल्पनीय व आश्चर्यजनक है। जनता कफ्र्यू से लेकर लाकडाउन तक अभी पीएम मोदी को देश की जनता का सौ प्रतिशत जनसमर्थन मिल रहा है। कोरोना के खिलाफ जंग का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस प्रकार से नेतृत्व कर रहे हैं वह भी अनुकरणीय है। यह उनके नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज उनके धुर विरोधी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरीखे नेता उनकी बातों को मान रहे हैं तथा लाकडाउन के नियमोें का अपने राज्यों में कड़ाई से पालन करवा रहे हैं।
अभी तक लाकडाउन कुछ हद तक सफल ही माना जा रहा है हालांकि आगे आने वाले दिन काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं। लाकडाउन की सफलता और देश के जनमानस के बीच आपसी एकजुटता व भाईचारे को देखकर पीएम मोदी व भाजपा विरोधी दलों को यह बातें रास नहीं आ रही हैं। कुछ राजनैतिक दल व नेता इस शंातिपूर्ण वातावरण में भी अपनी राजनीति खोज रहे हैं। देश की अधिकांश जनता, व्यापार जगत के लोग, सिने हस्तियां, खेल जगत की हस्तियां सभी अपने घरों में समय काट रही हैं, लेकिन कुछ राजनैतिक दल व उनके नेता, समाज के अराजक तत्व, कालाबाजारी व जमाखोरी करने वाले लोग तथा समाज के कुछ लापरवाह अराजक तत्व जिन्हें यह भरोसा व अहंकार है कि वह चाहे जो कुछ करें उन्हे किसी भी प्रकार का वायरस कुछ नहीं बिगाड पायेगा, आज वही लोग लाकडाउन की सोच को बिगाडने का प्रयास भी चोरी छिपे कर रहे हैं, जिसका इंतजार भी मोदी विरोधी दल कर रहे हैं ताकि वह अपनी राजनैतिक रोटियों को अच्छी तरह सेक सकें।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी व उनकी बहिन प्रियंका वाडरा आजकल बहुत अधिक विचलित हो रही हैं तथा लक्ष्मण रेखा को तोडने के लिए उतावली दिखलायी पड़ रही हैं। यह दोनों केवल ऊपर से ही दिखावे के लिए सरकार का समर्थन कर रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर साजिशों का बुलबुला भी फूट रहा है। कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी प्रतिदिन मोदी जी को पत्र लिखकर नित नयी मांग रख रही हैं। राहुल गांधी को आंकड़ों पर भरोसा नहीं रहा उनके मन में भ्रम का व भय का मायाजाल बैठ गया है। वह कोरोना वायरस पर अपनी चिकित्सा बताकर स्थिति की गंभीरता को हल्का करने की नापाक और असफल कोशिश कर रहे हैं।
आजकल लाकडाउन के बीच जनमानस के बीच कुछ सकारात्मक संदेश देने के उद्देश्य से दूरदर्शन ने अपने ऐतिहासिक धारावाहिक रामायण व महाभारत का फिर से प्रसारण शुरू किया है और यह जनमानस के बीच काफी पसंद किया जा रहा है। जनमानस के बीच जिन पुराने लोगों ने यह ऐतिहासिक धारावाहिक देखे हैं, उन्हें वह दौर एक बार फिर याद आ रहा है लेकिन कांग्रेस तथा मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति से ओतप्रोत दलों को यह बात उसी तरह से फिर अखरने लग गयी है और फिर से बयानबाजी शुरू कर दी गयी हैै। दक्षिण से एक कांग्रेस नेता जोतिमणि ने रामायण के प्रसारण पर सवाल उठाते हुए उसे कम्युनल बता दिया है। जिसके बाद राजनैतिक गलियारे में महाभारत तो होना ही था। आज यह कांग्रेस के नेता भूल चुके हैं कि जब रामायण और महाभारत के प्रसारण हुए थे उस समय कांग्रेस की ही सरकारें देश में हुआ करती थी। आज वही कांग्रेस एक बार फिर भारी गलती करते हुए रामायण के प्रसारण को कम्युनल करार दे रही है और कोरोना वायरस की महामारी के दौर में देश में सांप्रदायिक वातावरण के उन्माद को पैदा करना चाह रही है। उसकी यह साजिशें सफल नहीं हो पायेगी तथा कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राजनैतिक इतिहास के गर्त में समा जायेंगे।
यहां पर कांग्रेस नेताओं को अपना पूर्व का इतिहास एक बार फिर देखना चाहिये। फिल्म निर्माता निर्देेशक रामानंद सागर को रामायण का प्रसारण शुरू करवाने के लिए काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। वे दिल्ली के चक्कर लगाया करते थे कि दूरदर्शन से उनको अनुमति मिल जाये। वे घंटो लाइन में खड़े होकर इंतजार करते रहते थे। 1986 में श्रीराम की कृपा हुई और अजित कुमार पांजा ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का पदभार संभाला और रामायण की दूरदर्शन में एंट्री हो गयी। 1987 में यह महाकाव्य टीवी पर शुरू हुआ और दूरदर्शन के दिन बदल गये। धारावाहिक के प्रसारण के समय देशभर में कफ्र्यू छा जाता था। लोग अपने सारे काम धंधे छोड़कर रामायण देखने के लिए तैयार हो जाते थे।
उस समय भी कांग्रेस पार्टी के राजनैतिक गलियारे में रामायण धारावाहिक के प्रसारण को लेकर असमंजस का वातावरण था। तत्कालीन कांग्रेस नेता विट्ठल नरहरि गाडगिल सरीखे नेता रामायण सरीखे धारावाहिकों के प्रसारण के धुर विरोधी थे तथा उन्हें डर था कि रामायण जैसे धारावाहिक के प्रसारण से डर था कि ये धारावाहिक न केवल हिंदुओं में गर्व की भावना को जन्म देगा, अपितु तेजी से उभर रही भाजपा को लाभ होगा। हालांकि स्वर्गीय राजीव गांधी के हस्तक्षेप से यह मामला शांत हो गया था।
आज कांग्रेस के कुछ नेताओं में वही दर्द व भय एक बार फिर पनप उठा है तथा जिस प्रकार तत्कालीन नेता गाडगिल को हुआ था। आज कांग्रेस के हालात बहुत दयनीय हो चुके हैं। परिस्थितियां बहुत ही अलग हैं। आज कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन है, देश की जनता लक्ष्मणरेखा ना लांघ पाये इसलिए इन धारावाहिकों का प्रसारण किया जा रहा है। कांग्रेस नेताओ की बयानबाजी का जवाब कलाकार अरूण गोविल ने दिया है उनका सही कहना है कि जिन लोगों ने रामायण को सही तरह से समझा है उन्हें पता है कि रामायण में जो कुछ कहा गया है वह हर धर्म में लागू होता हैं ऐसे में अगर कोई सवाल उठाता है तो वो ऐसा बोलकर खुद को ही नीचा दिखा रहा है। उनका कहना है कि इन चीजों को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। ये बात किसी एक धर्म की नहीं, वरन पूरे विश्व की बात है। गोविल ने कहा कि इस लाकडाउन के समय में हमें रामायण में श्रीराम के किरदार को देखते हुए उनकी तरह मर्यादा में रहना है।
इसी प्रकार एक प्रख्यात लेखिका मृणाल पांडे ने भी अपनी मानसिक विकृति का परिचय देते हुए एक ट्विट किया था जिसमे उन्हाने लिखा था घर में नहीं अन्न और टीवी पर रामनाम। जैसा कुछ काफी आपत्तिजनक लिखा था जिसके बाद वह काफी ट्रोल हो गयी थीं। लोगों ने उन्हें जवाब दिया कि आप अपने घर का पता बता दें आपके घर भोजन पहंुचा दिया जायेगा। एक प्रकार से आज के दोर में भी लोगों का मन शंात नहीं है और वे राजनैतिक बयानबाजियों के माध्यम से लक्ष्मणरेखा का उल्लंघन करना चाह रहे हैं। यह लोग भूूल गये हैं कि लक्ष्मणरेखा का उल्लंघन कितना खतरनाक होता है। इन सभी लोगों को लक्ष्मणरेखा का उल्लंघन होने के बाद क्या होता है, एक बार फिर से देखना और पढ़ना चाहिए।
— मृत्युंजय दीक्षित