व्यंग्य – ऊहो अबकी पास कर गया
मैट्रिक इम्तिहान में पांच बार फेल होने के बाद जब इस वर्ष मंगरा इंटरमीडिएट की इम्तिहान दे रहा था तो उसके मन में धुकधुकी लगा हुआ था।इम्तिहान के पहले दिन जब परीक्षा कक्ष में प्रवेश किया तो एक बार तो उसे लगा बेकार का आ गया पास तो होना नहीं है। मित्रों ने मुझे जानबूझकर माई बाबू जी से बात सुनाने के लिए यह हथकंडाअपनाया है।अगर मैट्रिक की तरह इस बार भी फेल कर गया तो सारे गांव वाले और हित-परिवार हंस-हंसकर जी लेंगे।फिर भी अपने दिल को समझाते हुए कहा चुनावी साल है कितने लोग पास कर जाते हैं ए सब मित्रों ने समझाया है,नैया पार भी लग सकती है।मेज पर बैठकर यही सोच रहा था की परीक्षक महोदया ने उसके हाथ में इम्तिहान के सवाल और उत्तर पुस्तिका पकड़ा दी।वह सवाल और उत्तर पुस्तिकाओं को इक्कीस दफा हाथ जोड़कर प्रणाम किया अपने कुलदेवता गोरैया बाबा को याद किया और फिर इत्मीनान से सभी प्रश्नों को हुबहू उत्तर पुस्तिका में उतार कर किसी तरह इम्तिहान के बोझ से मुक्त हो गया।लेकिन जब तक इंम्तिहान का परिणाम नहीं आ गया उसके दिलो-दिमाग पर किसी डरावने सपने की तरह परीक्षा परिणाम का भूत मंडराता रहा।दो महीने बाद वह दिन भी आ गया जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा इंटरमीडिएट इम्तिहान का परिणाम घोषित कर दिया गया।इसकी खबर पूरे बिहार में फैल चुका था।लोग अपने अपने मोबाइल फोन से परीक्षा परिणाम देखने में मशगूल थे। मंगला के भाव में भी लोग परीक्षा परिणाम जानने की जद्दोजहद कर रहे थे क्योंकि उसके गांव में इंटरनेट का कमजोर सिग्नल आता था।इसलिए काफी देर लग रहा था।किसी ने इसी बीच मंगरा को भी बताया परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया है।वह भी वहां पहुंच गया।जैसे-जैसे परीक्षा परिणाम मोबाइल स्क्रीन पर आ रहा था सभी परीक्षार्थियों जिन्होंने यह परीक्षा दी थी अपने अपने परिणाम जानने पर खुश हो रहे थे क्योंकि अभी तक कोई फेल नहीं हुआ था।इसी बीच मंगरा के एक दोस्त गजोधर चिल्लाया मंगरा का भी बेड़ा पार हो गया।लेकिन यह क्या सभी लोग सोच में पड़ गए कि मंगरा भी चुनावी मौसम में अभी एक ही बार में पास हो गया।जो टीका लगाकर घंटी बजाते रहता है।कभी विद्यालय जाने के लिए सोचा तक नहीं,अपने मित्रों के सलाह पर केवल अपने एक रिश्तेदार की सहायता से रजिस्ट्रेशन करवाकर फॉर्म भर दिया था।परीक्षा भी नहीं देने जा रहा था पर अपने यार दोस्तों के काफी कहने सुनने पर तैयार हुआ हुआ था।जब लोगों ने उसे विश्वास दिलाया चुनावी माहौल है तुम क्या बेंच कुर्सी भी पास कर जायेगा।तब जाकर वह माना था।जब उसका परिणाम आया तो वह प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुआ।पहले तो मंगरा ने जैसे ही सुना उसके कानों पर विश्वास नहीं हुआ।वह अपने दोस्तों से पागलों की तरह चिल्ला चिल्ला कर कहता मजाक मत करो बहुत पीटेंगे,जब हम खाली प्रश्न उतार कर आए हैं तो पास कैसे हो गए? वह भी प्रथम श्रेणी से!पर जब लोगों ने मोबाइल स्क्रीन पर उसे उसका परिणाम दिखाया तब जाकर उसे विश्वास हुआ।तुरंत सब काम-धाम छोड़कर दौड़ा-दौड़ा गौरैया स्थान जाकर आधे घंटे तक सिर नवाया,और फिर से टीका लगाकर घंटी बजा दिया और मन ही मन चुनाव गोसाईं को धन्यवाद दिया।फिर वहीं बैठ कर सोचने लगा काश ऐसा ही चुनाव मेरे मैट्रिक परीक्षा के वक्त हुआ रहता तो मैं पांच बार में मैट्रिक थर्ड डिविजन से पास नहीं करता।सरकार कितनी मूर्ख है उसे तो चुनाव हर वर्ष करना चाहिए ताकि हम जैसे होनहार नौजवानों को फेल होने का मौका ना मिले।वहीं बैठकर वह लगातार सोचते जा रहा था।उसे पता ही नहीं चला कि वह क्या कर रहा है।वह तो खुशी में पागल हो गया था और गोरैया स्थान का घंटी बजाते जा रहा था।साथ ही चुनाव गोसाईं के गीत गाते रहा था।जिसके इकबाल से आज वह प्रथम दर्जे से पास हुआ था।पर मंगरा बेवकूफ नहीं था वह तो देश के शिक्षा और परीक्षा प्रणाली पर मन ही मन हंस रहा था और कह रहा था एक दिन इसी तरह से देश का घंटी बज जाएगा।अगर शिक्षा और परीक्षा के बुनियादी सिद्धांत को इसी तरह भुला दिया जाएगा।क्योंकि जब शिक्षा एवं परीक्षा सिर्फ पास करने के लिए ही होगा तो राज्य और देश के भविष्य क्या होगा वह न तो कोई भविष्यवेत्ता बतला पायेगा और न ही वैज्ञानिक अनुमान लगा पाएंगे।बच्चों के शिक्षा की गुणवत्ता में विकास के लिए प्रयास नहीं हो रहा है पर उनका परीक्षा परिणाम किस तरह से अन्य के मुकाबले ऊंचा दिखे इसके लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।जो शिक्षा के मूलभूत सिद्धांत और मूल्यों को जड़ मूल खत्म कर रहा है।मंगरा यही सोचते सोचते अपने घर आ गया।लेकिन आज भी शिक्षा और परीक्षा का हाल वैसा ही बना हुआ है।धन्य है इस देश की परीक्षा प्रणाली जहां मंगरा जैसे सवाल उतारने वाले भी प्रथम दर्जे से परीक्षा उत्तीर्ण कर जाते हैं।
— गोपेंद्र कुमार गौतम