कविता

दिलखुश जुगलबंदी- 23

कोरोना न बने विकराल!

जय भारत मैं गाऊं,
इस मिट्टी की कसम में खाऊँ,
जिस मिट्टी में बड़ा हुआ,
उसकी महिमा के गीत सदा गुनगुनाऊँ,
-रविंदर सूदन

यही तो सच्ची देशभक्ति है,
यही देश की शक्ति है,
इस मिट्टी की कसम भी खाओ,
यही तो प्रेम-अनुरक्ति है.
-लीला तिवानी

छोटे हैं हम फिर भी जग में,
काम बड़े कर जाएंगे,
जितने पेड़ कटेंगे देश में,
उससे दुगुने लगायेंगे.

काम कोई भी भी बड़ा न होता,
और न कोई छोटा काम,
काम तो बस वह काम ही होता,
देश का जिससे बढ़े सम्मान.

छोटे-छोटे काम बताओ,
छोटी-छोटी बात सिखाओ,
बातों में न हमें टरकाओ,
आए हो तो सीख देकर जाओ.

छोटे-छोटे काम करो तुम,
छोटे-छोटे वृक्ष लगाओ,
छोटे वृक्ष ही बड़े बनेंगे,
अभी से देश को बड़ा बनाओ.

युवा प्रकृति का है उपहार,
उम्र सयानी शक्ति अपार.

युवा-बाल जब मिलके चलेंगे,
देश का तब ही होगा विकास,
कोई मात न दे पाएगा,
तभी फलेगी सबकी आस.

उन लोगों के लिए हमेशा फूल होते हैं,
जो उन्हें देखना चाहते हैं.

जीवन की बगिया हरी रहे,
जीवन में खुशियां भरी रहें,

आज पड़ी है विपदा देश पर,
कोरोना बन आया काल,
ऐसे में कुछ समझ न आए,
क्या कर सकते छोटे लाल!
-रविंदर सूदन

गुल्लक लगे फोड़ने देखो,
कहते जिनको छोटे लाल,
गुल्लक देश के काम आएगी,
कोरोना न बने विकराल,
कोरोना न बने विकराल,
कोरोना न बने विकराल!
-लीला तिवानी

सभी एक साथ मिलकर-
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥

जब-जब देश पर कोई विपदा आई है, देश एक हो गया है.
आज कोरोना ने देश को एक कर दिया है,
हर एक को नेक कर दिया है,
छोटे-बड़े सब फ़ासले से देश का हित करने में जुटे हुए हुए हैं,
छोटे-छोटे बच्चों ने भी दनादन अपनी गुल्लक को फोड़ दिया है
और कोरोना को भागने को विवश कर दिया है.
-एक साथ सभी सम्माननीय पाठकगण एवं कामेंटेटर्स

रविंदर सूदन का ब्लॉग
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/author/ravisudanyahoo-com/

लीला तिवानी का ब्लॉग
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “दिलखुश जुगलबंदी- 23

  • मनमोहन कुमार आर्य

    कविता अच्छी लगी। कुछ लोग कोरोना महामारी को भी संकुचित दृष्टिकोण से देख रहें हैं। कोरोना योद्धाओं पुलिस, डाक्टर, नर्स आदि पर पत्थर बरसाए जा रहें हैं। उन पर थूका जा रहा है। नर्सों से अश्लील हरकतें कर रहें हैं। इनकी निंदा भी होनी चाहिए। दिल्ली में भी इन लोगों ने देश विरोधी कृत्य किया है। अतः मनुष्यों व उनकी सोच में अंतर हैं. इस समय प्रधान मंत्री मोदी जी का नेतृत्व एक बड़ा सहारा है। हम देश द्रोही काम करने वालों की निंदा करते हैं।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको हमारी यह रचना अति उत्तम लगी. सच है सकारात्मक सोच वाले ग़म में भी खुशी की मौज ढूंढ लेते हैं और अपना आत्मबल बढ़ाते हैं. रचना का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया व धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    कोरोना वायरस. तेज़ी से फैल रहा है. बीमारों के इलाज के लिए और लॉकडाउन की वजह से बेरोज़गार लोगों की मदद के लिए सरकार को पैसा चाहिए. इसलिए बहुत से लोग आगे आ रहे हैं. पीएम केयर्स फंड में पैसे दान कर रहे हैं. शुरुआत सेलेब्स से हुई, फिर आम आदमी इस फंड में पैसे डालने लगे और अब छोटे-छोटे बच्चे भी इसमें शामिल होने लगे हैं. वे अपना गुल्लक फोड़ रहे हैं, ताकि कोरोना से लड़ने के लिए देश को मदद मिल सके.

    छह साल का बच्चा जब गुल्लक लेकर पुलिस के पास पहुंचा.

    पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने छह साल के एक बच्चे का वीडियो ट्वीट किया. बताया कि लॉकडाउन और महामारी के हालात में बच्चे ने वो सारे पैसे दे दिए, जो उसने जोड़े थे. वीडियो में पुलिसवाले बच्चे से पूछ रहे हैं कि वो पैसे क्यों दे रहा है? बच्चा जवाब देता है, ‘बांटने के लिए’.

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