लघुकथा

जुनून के पंख

आज सुमि के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि का दिन था. ”आपको फाइटर प्लेन उड़ाने के लिए चयनित किया गया है. बधाई हो.” अभी-अभी एयर फोर्स से उसके मोबाइल पर मैसेज आया था.

फाइटर पायलट पति दिनेश को यह खुशखबरी देने के लिए प्रतीक्षा करती सुमि अतीत में गुम-सी हो गई.

बचपन से ही सुमि एयर फोर्स पायलट बनना चाहती थी. उसकी यह इच्छा तो पूरी नहीं हो सकी थी, हां एयर फोर्स में पायलट दिनेश से उसकी शादी जरूर हो गई थी.
दिनेश ने ही उसकी इच्छा और जुनून को जानकर उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया था. भलीभांति घर-परिवार और दो बच्चों की जिम्मेदारी निभाती सुमि को आसमां को छूना मुश्किल लग रहा था, पर दिनेश के ‘आगे बढ़ो,मैं हूं ना!’ ने सुमि के जुनून को पंख लगा दिए.

सुमि की कंबाइंड डिफेंस सर्विस एग्जाम (सीडीएसई) की तैयारी में तीन और अभ्यार्थिनियां भी उसकी सखियां बन गई थीं. उन तीनों का काम ही पढ़ना और सिर्फ पढ़ना था. कभी-कभी सुमि को लगता कि ये तीनों तो निकल जाएंगी वही रह जाएगी, लेकिन अपने जुनून को उसने कतई हल्का नहीं होने दिया.

नतीजा निकला तो कोरी विद्या के पंख किसी-न-किसी कारण से तीनों के काम नहीं आ सके थे, सुमि आसमां को छूने की राह में निकल सकी थी.

एयर फोर्स पायलट की काफी कठिन ट्रेनिंग प्रक्रिया के दौरान सुमि ने फाइटर प्लेन फ्लाइंग के दौरान हवा से हवा में आक्रमण भी किया. दिये गये मिशन को सफलता से पूरा भी किया, दुश्मन के बेस को तबाह करने में भी कामयाबी पाई, सोल्जर्स और सिविलयन्स को बचाने में भी सफल रही. शांति बनाये रखने वाले मिशन में भी उसने नाम कमाया. और फायटर जेट के साथ आक्रमण का प्रशिक्षण भी लिया. कामयाबी के हर कदम पर घर-परिवार उसके जुनून को सराहता रहा.

”सुमि, आज तुम्हारे साथ मेरे जुनून को भी पंख लग गए हैं.” दिनेश ने उसकी तंद्रा भंग करते हुए कहा.

सुमि शिद्दत से उड़ने की तैयारी में जुट गई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “जुनून के पंख

  • लीला तिवानी

    जुनून के पंख लग जाएं तो क्या नहीं हो सकता!
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