कहानी

कहानी-लापरवाही एक अभिशाप 

अखिल और जीवेश बचपन के मित्र थे। पर आदतों में दोनों एक दूसरे के विपरीत। जीवेश बहुत ही अनुशासित और समय पर काम करने वाला था तो अखिल हर बात को हवा में उड़ाने वाला बेहद लापरवाह किस्म का था। स्कूल में अध्यापक अखिल को समझाते समय जीवेश का उदाहरण देते थे। जीवेश भी उसे समझाता रहता था। एक तरफ अखिल कक्षा में प्रथम आता तो दूसरी तरफ जीवेश भगवान भरोसे रहकर पास हो जाता था। इस समय दोनों एक साथ कॉलेज की पढ़ाई कर रहे थे।
अचानक एक वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया। सभी स्कूल, कॉलेज आदि बंद कर दिए गए। यह वायरस बहुत तेजी से फैल रहा था। सरकार की तरफ से भारत बंद का ऐलान कर दिया गया था। घर से बाहर निकलने की पूरी तरह मनाई थी, क्योंकि यह वायरस एक दूसरे के संपर्क में आने से, हाथ मिलाने से फैल रहा था। सबसे बड़ी बात यह थी कि इस वायरस का कोई उचित इलाज नहीं था।
अखिल और जीवेश का घर एक कॉलोनी में पास-पास था। दोनों अपनी-अपनी बालकनी में खड़े होकर बात कर लेते थे। अखिल तो दो दिन घर में रहकर ही बोर होने लगा। उसने जीवेश से कहा चल यार, बाहर घूम कर आते हैं। यह छोटे-मोटे वायरस हमारा बाल बांका भी नहीं कर सकते। अखिल ने कहा- अरे, तू यह क्या कह रहा है? इस समय घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है। मैं तो घर में बैठ कर अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ रहा हूं। तू भी अॉनलाइन पुस्तकें लेकर पढ़ सकता है। प्लीज तू बाहर मत जाना। यह बहुत भयानक महामारी है। तू तो बचपन से लापरवाह रहा है। अब यह लापरवाही छोड़ दें, नहीं तो लेने के देने पड़ जायेंगे। अखिल ने फोन पर जीवेश को बहुत बुरा भला कहा- अरे, तू तो बचपन से ही बहुत डरपोक है। तू घर में माँ के आंचल में छिपकर बैठ जा। मैं घूम कर आता हूँ।
अखिल घरवालों से छिपकर अकेले बाहर चला गया। पार्क में कुछ उस जैसे ही लापरवाह साथी बैठे हुए मस्ती कर रहे थे। किसी के मुँह पर मास्क भी नहीं था। अखिल ने जाकर उन सबसे हाथ मिलाया। करीब दो घंटे तक उन सबके साथ गपशप की। फिर पुलिस को चकमा देकर वापस घर आया और बिना हाथ पैरों को धोये घर में चला गया। दो तीन दिन बाद उसको तेज बुखार हो गया। माता-पिता डर गए। उसे डॉक्टर को दिखाया गया, तो पता चला की वह वायरस की चपेट में आ चुका है। उसको अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। अखिल का संक्रमण परीक्षण होने के पहले ही वह घर के सभी लोगों को संक्रमित कर चुका था। उसके बड़े भाई को भी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उसके माता-पिता वृद्ध होने के कारण इस संक्रमण को झेल न सके। उनकी मृत्यु हो गई। दो बेटों के होते हुए भी कोई अग्नि देने वाला नहीं था। अखिल और उसका बड़ा भाई निखिल एक माह बाद ठीक होकर जब अस्पताल से वापस आए, तो उन्हें माता-पिता की दुखद सूचना मिली।
अखिल की स्थिति पगलों जैसी हो गई थी। वह अपने माता-पिता को याद करके परेशान हो जाता था। वह बार-बार जीवेश को फोन करके उससे माफी मांग रहा था।
जीवेश ने उसे प्यार से समझाया। अब जो हो गया, उसको तो कोई वापस नहीं ला सकता है लेकिन तुम आज से वचन लो कि अपनी लापरवाही की आदत हमेशा- हमेशा के लिए छोड़ दोगे। तुम्हें अपनी इस आदत की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। अब तुम अनुशासित होकर समय पर अपना हर कार्य पूरा करोगे। मेरे भाई ! लापरवाही एक अभिशाप है। जीवेश आँखों में अश्रु लिए नतमस्तक होकर मित्र की बातें फोन पर सुनता रहा।
— निशा नंदिनी भारतीय 

*डॉ. निशा नंदिनी भारतीय

13 सितंबर 1962 को रामपुर उत्तर प्रदेश जन्मी,डॉ.निशा गुप्ता (साहित्यिक नाम डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)वरिष्ठ साहित्यकार हैं। माता-पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता व राधा देवी गुप्ता। पति श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता। बेटा रोचक गुप्ता और जुड़वा बेटियां रुमिता गुप्ता, रुहिता गुप्ता हैं। आपने हिन्दी,सामाजशास्त्र,दर्शन शास्त्र तीन विषयों में स्नाकोत्तर तथा बी.एड के उपरांत संत कबीर पर शोधकार्य किया। आप 38 वर्षों से तिनसुकिया असम में समाज सेवा में कार्यरत हैं। असमिया भाषा के उत्तरोत्तर विकास के साथ-साथ आपने हिन्दी को भी प्रतिष्ठित किया। असमिया संस्कृति और असमिया भाषा से आपका गहरा लगाव है, वैसे तो आप लगभग पांच दर्जन पुस्तकों की प्रणेता हैं...लेकिन असम की संस्कृति पर लिखी दो पुस्तकें उन्हें बहुत प्रिय है। "भारत का गौरव असम" और "असम की गौरवमयी संस्कृति" 15 वर्ष की आयु से लेखन कार्य में लगी हैं। काव्य संग्रह,निबंध संग्रह,कहानी संग्रह, जीवनी संग्रह,बाल साहित्य,यात्रा वृत्तांत,उपन्यास आदि सभी विधाओं में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुक्त-हृदय (बाल काव्य संग्रह) नया आकाश (लघुकथा संग्रह) दो पुस्तकों का संपादन भी किया है। लेखन के साथ-साथ नाटक मंचन, आलेखन कला, चित्रकला तथा हस्तशिल्प आदि में भी आपकी रुचि है। 30 वर्षों तक विभिन्न विद्यालयों व कॉलेज में अध्यापन कार्य किया है। वर्तमान में सलाहकार व काउंसलर है। देश-विदेश की लगभग छह दर्जन से अधिक प्रसिद्ध पत्र- पत्रिकाओं में लेख,कहानियाँ, कविताएं व निबंध आदि प्रकाशित हो चुके हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश, डिब्रूगढ़ असम व दिल्ली आकाशवाणी से परिचर्चा कविता पाठ व वार्तालाप नाटक आदि का प्रसारण हो चुका है। दिल्ली दूरदर्शन से साहित्यिक साक्षात्कार।आप 13 देशों की साहित्यिक यात्रा कर चुकी हैं। संत गाडगे बाबा अमरावती विश्व विद्यालय के(प्रथम वर्ष) में अनिवार्य हिन्दी के लिए स्वीकृत पाठ्य पुस्तक "गुंजन" में "प्रयत्न" नामक कविता संकलित की गई है। "शिशु गीत" पुस्तक का तिनसुकिया, असम के विभिन्न विद्यालयों में पठन-पाठन हो रहा है। बाल उपन्यास-"जादूगरनी हलकारा" का असमिया में अनुवाद हो चुका है। "स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्व विद्यालय नांदेड़" में (बी.कॉम, बी.ए,बी.एस.सी (द्वितीय वर्ष) स्वीकृत पुस्तक "गद्य तरंग" में "वीरांगना कनकलता बरुआ" का जीवनी कृत लेख संकलित किया गया है। अपने 2020 में सबसे अधिक 860 सामाजिक कविताएं लिखने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। जिसके लिए प्रकृति फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। 2021 में पॉलीथिन से गमले बनाकर पौधे लगाने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। 2022 सबसे लम्बी कविता "देखो सूरज खड़ा हुआ" इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। वर्तमान में आप "इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल न्यास" की मार्ग दर्शक, "शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास" की कार्यकर्ता, विवेकानंद केंद्र कन्या कुमारी की कार्यकर्ता, अहिंसा यात्रा की सूत्रधार, हार्ट केयर सोसायटी की सदस्य, नमो मंत्र फाउंडेशन की असम प्रदेश की कनवेनर, रामायण रिसर्च काउंसिल की राष्ट्रीय संयोजक हैं। आपको "मानव संसाधन मंत्रालय" की ओर से "माननीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी जी" द्वारा शिक्षण के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। विक्रमशिला विश्व विद्यालय द्वारा "विद्या वाचस्पति" की उपाधि से सम्मानित किया गया। वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव इंडोनेशिया व मलेशिया में छत्तीसगढ़ द्वारा- साहित्य वैभव सम्मान, थाईलैंड के क्राबी महोत्सव में साहित्य वैभव सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन असम द्वारा रजत जयंती के अवसर पर साहित्यकार सम्मान,भारत सरकार आकाशवाणी सर्वभाषा कवि सम्मेलन में मध्य प्रदेश द्वारा साहित्यकार सम्मान प्राप्त हुआ तथा वल्ड बुक रिकार्ड में दर्ज किया गया। बाल्यकाल से ही आपकी साहित्य में विशेष रुचि रही है...उसी के परिणाम स्वरूप आज देश विदेश के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उन्हें पढ़ा जा सकता है...इसके साथ ही देश विदेश के लगभग पांच दर्जन सम्मानों से सम्मानित हैं। आपके जीवन का उद्देश्य सकारात्मक सोच द्वारा सच्चे हृदय से अपने देश की सेवा करना और कफन के रूप में तिरंगा प्राप्त करना है। वर्तमान पता/ स्थाई पता-------- निशा नंदिनी भारतीय आर.के.विला बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी, गली- ज्ञानपीठ स्कूल तिनसुकिया, असम 786192 [email protected]