तेरी यादें
तेरी यादें क्यों राख नहीं होती
सुलगती चिंगारी बनकर
दिल को तपाए रखती है
ये यादें समझती क्यों नहीं
वक्त बीत चुका है और
हमदोनों के बीच अब फासले हैं
जो शायद कभी भी
नजदीकियों का रूप नहीं लेंगे
एक निश्चिंतता मन में फैल चुकी है
कि तुमसे नहीं कोई वास्ता दूर तलक
दिल की हर आह को हमनें
नजरअंदाज किया
तुम्हारे साथ के हर लम्हे को
दरकिनार किया
पर बड़ी जिद्दी है तेरी यादें
जैसे जिद्दी तुम
हर वक्त अपने कहे हुए बातों पर झंडे गाड़ते
और खुद को मेरे आगे श्रेष्ठ समझते
उफ ! प्यार में बबूल के कांटे जैसा तुम्हारा ये अहम
दिल को बहुत चुभती
हां ! मैं जानती हूँ प्यार सहना जानता है
मौन में प्यार को बांधना जानता है
पर शायद तुम नहीं जानते
मौन की भी एक उम्र होती है
जिसके बाद वो चीखती है
और इतना चीखती है इतना चीखती है
कि प्रेम के दैहिक सम्बन्ध सारे रेत बन फिसल जाते है
बस आवारा मन
यादों को सहेजे रखता है।
— बबली सिन्हा