गज़ल
जब गलियो में सन्नाटा है
तब दोष क्या है मीनारो का
कश्ती को डुबाया मांझी ने
तब दोष क्या है पतवारो का
जब चमन उजाड़े माली ही
तब दोष क्या है गुलजारो का
जब बीच दिलो के दीवारे
तो दोष क्या है दीवारो का
जंगल कम, बाघ शहर में हैं
तो दोष क्या है खूंखारो का
जब वारिस ही फूंके घर को
तब दोष क्या है अंगारो का
बादल बिन बरसे लौट गये
तब दोष क्या है फव्वारों का
— शालिनी शर्मा
बहुत ही शानदार ग़ज़ल