ये जिन्दगी देती जहर उसको पिया हमने जो जख्म वो देकर गया उसको सिया हमने वो लूटते हैं और वो देते हमें धोखा धोखे सहे लेकिन नही शिकवा किया हमने हम जानते हैं वो हमारा छीन लेगा सब फिर भी उसे अपना बना अपना लिया हमने हमने निभायी दोस्ती तुझको बचाया है अहसान तेरा अब […]
Author: शालिनी शर्मा
दोहे
ठीक कहा सबने सदा,ये है बहुत खराब जो तिहाड़ ले कर चली,वो है दुष्ट शराब बरबादी की राह का, ये करती आगाज, मन्त्री हो या सन्तरी,करती नही लिहाज कर देती है खोखला,कुछ भी बचे न शेष इस लायक छोड़े नही,दिखा सको जो फेस महंगी ये पड़ती बहुत,रोक सके तो रोक रहे कहीं का भी नही, […]
गीतिका
फूूंक दे जो घर, मशाले वो न जलनी चाहिए प्यार फैले, नफरते दिल में न पलनी चाहिए काट ड़ाले पर,उसे उड़ने नही उसने दिया कैद से उसकी चिड़ी बेबस निकलनी चाहिए वो गिरे ऐसे नजर से फिर नही वो उठ सके दोस्तो चाले तुम्हे ऐसी न चलनी चाहिए जो हमेशा जख्म देती,जो नही देती दुआ […]
कुंडलिया छन्द
नेता करते हैं यहां, बस अपना उत्थान जनता को ही देखिए, करने सब बलिदान करने सब बलिदान, गिला मत करना कोई चुप बस रहे जुबान, कसम जो आँखे रोई देकर हमको कोर, चपाती सारी लेता सूखी खाओ तुम, चुपडी खायेगा नेता — शालिनी शर्मा
गीतिका
लुटा दिया, कुछ छोड़ा नही खजाने में लगा दिया सब, जो था, उसे हराने में मिटा दिया उसने मान,जो कमाया था जिसे लगी,सदियां थी हमें कमाने में दिखा उदास जमाना,दिखी उदासी थी हमें दिया गम, उसने सदा हँसाने में झुके नही हम,चाहें सब कुछ खो ड़ाला करो न देर अपना मान तुम बचाने में सिखा […]
गीतिका
हमसे मिलने कभी तुम भी आया करो हमको ही मत हमेशा बुलाया करो हमने चाहा तुम्हे, की खता मान ली याद आके ना अक्सर रूलाया करो घर जला के वो करते हैं रोशन जहां लपटो से अपना घर भी बचाया करो फूल तुम भेजते हो सदा उनके घर अपना घर भी तो थोड़ा सजाया करो […]
दोहा गीतिका
पाल पोस कर कर दिया,जिसने वत्स जवान वृद्ध आश्रम छोड़ कर, भूल गया पहचान मात पिता के कर्ज को, सकता कोन उतार मात पिता का तुम कभी,मत करना अपमान ये बूढ़े माता पिता, क्यों बन जाते बोझ जो रखते सारी उमर, सब बच्चो का ध्यान बालक क्यों भूखा रहे, खुद सह ली थी भूख वही […]
दोहा गीतिका
जीवन में हो सादगी, ऊंचे रहे विचार सफर जिन्दगी का कठिन, नही मानना हार अच्छी चीजों को चुनो, अपनाओ सद्भाव अच्छा बनने के लिए, खुद में करो सुधार झूठ,कपट,दुर्भावना, द्वेष फेंक दो दूर अवगुण सारे त्याग दो, हो अच्छा व्यवहार संस्कार के फूल से, महके सकल जहान संचित गुण का कोष हो, गुण का हो […]
दोहा गीतिका
बागो में क्यों खो गई, फूलो कि मुस्कान क्यों पंछी उड़ते नही,क्यों है बन्द उड़ान क्यों आँखो में नीर है,कहां लगे हैं घाव क्यों सपनो पर बैन है,क्यों मायूस जहान कोन पड़ा बीमार है,जिसके दवा न पास इतनी चिन्ता किस लिए,क्यों है दुखी किसान ठीक नही हालात क्या,क्यों सूखे हैं गाल बारिश ने क्या कर […]
ग़ज़ल
जो हमें घुट घुट के मरने के बहाने दे गया है फूल आके वो चिता पर कुछ सजाने दे गया कत्ल मेरा कर दिया पर अब सजा से डर रहा है इस लिए मेरे ही घर चाकू छिपाने दे गया है वो नये कुछ जख्म देके दे गया खुद ही दवाई और फिर रूमाल आंसू […]