दूरदर्शन
# दूरदर्शन
लॉकडाउन अवधि के प्रथम दो सप्ताह में ‘दूरदर्शन’ का राष्ट्रीय चैनल सबसे अधिक देखा जाने भारतीय चैनल है ।
केवल बीस दिन पहले कोई यह बात कहता तो यह बात लगभग असंभव लगती।
देश में संचार क्रांति और निजी चैनलों के आने के बाद से ही दूरदर्शन की दर्शक संख्या में निरंतर कमी होती रही और विगत कुछ वर्षों में तो ऐसी भी स्थिति रही की दूरदर्शन केवल वहीं चलता था जहां विकल्प उपलब्ध नहीं थे । निजी चैनलों की चकाचौंध और रंगीनियों में हम दूरदर्शन की सादगी से मुँह मोड़ गए । मुझे तो इस राष्ट्रीय चैनल का नंबर तक याद नहीं था । पर आज दिन में कम से कम चार पांच घंटे तो दूरदर्शन चल ही रहा है ।
संभवतः कुछ दिनों बाद जब स्थितियां पुनः सामान्य होंगी तो दूरदर्शन भी फिर दर्शकों की उपेक्षा का शिकार हो जाएगा । पर इस क्षणिक परिवर्तन से मेरे मन में एक बात आ रही है ।
जैसे एक बच्चा बचपन में तो अपनी माँ से बहुत प्रेम जताता है पर बढ़ती उम्र के साथ उसके लिए दोस्त , प्रेमी , पत्नी अधिक महत्वपूर्ण होते चले जाते हैं और माँ एक औपचारिकता सी उपेक्षित रहती है पर यदि कोई बहुत बड़ी विपदा या संकट आ जाए तो फिर नैराश्य में वही माँ याद आती है । उसकी ही गोद में ही सांत्वना सुधा मिलती है।
दूरदर्शन भी हम भारतीयों वही की बुढ़ी अम्मा है।
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम सुख में भी अपनी माँ को ना भूलें ।
सोचिएगा।
जय भारत
जय श्रीराम
समर नाथ मिश्र
रायपुर