धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर- 154

1.किसी को एक इंच खुशी तो देकर देखिए,
आपका दामन खुशियों से भर जाएगा.

2.खुशियों के ये सुनहरे पल मुबारक हों,
आनंद की बगिया की शीतल छाया मुबारक हो,
जीवन रहे आपका खुशियों से सराबोर,
खुशियों के ये महकते लम्हे मुबारक हों.

3.रब ना करे कभी आपको खुशियों की कमी हो,
आपके क़दमों के नीचे फूलों की जमीं हो
और आसमां में खुशियों के बादल छाएं और बरसते रहें.

4.ऊपर आसमां नीचे जमीं बनी रहे,
हर पल आपका आशीर्वाद बना रहे.

5.अपने आसमान से मेरी ज़मीन देख लो,
तुम ख्वाब आज कोई हसीन देख लो,
आज़माना है अगर एतबार को मेरे,
तो एक झूठ तुम बोलो ओर मेरा यक़ीं देख लो.

6.फूल बनकर मुस्कुराना है जिंदगी,
मुस्कुरा के गम भुलाना है जिंदगी,
जीत के कोई खुश हुआ तो क्या हुआ,
हार कर भी खुशियाँ मनाना है ज़िन्दगी.

7.खुदा से क्या माँगूं आपके वास्ते,
सब खुशियाँ हो बस आपके वास्ते,
बन के खुशबू महके ज़िंदगी आपकी,
हो फूलों की बरसात आपके रास्ते.

8.एहसास ही बहुत है आपके होने का;
मेरा जीवन दुआओं से भरा लगता है.

9.दोस्ती एक गीत है सुनाने के लिए,
यह नगमा है दिल की बात बताने के लिए,
दोस्ती एक जज्बा है जो मिलता नहीं सबको,
एहसास की जरूरत है दोस्ती निभाने के लिए.

10.ये आपके अपनेपन का असर लगता है;
दरिया भी हमें समंदर लगता है.

11.जिंदगी का हर पल सुख दे आपको,
दिन का हर लम्हा ख़ुशी दे आपको,
जहाँ गम की हवा छू के भी ना गुजरे,
खुदा वो जिंदगी दे आपको.

12.तकदीर के रंग कितने अजीब हैं,
दूर रहते हैं, फिर भी करीब हैं,
हर किसी को दोस्त मिलता नहीं आप जैसा,
मुझे आप मिले यह मेरा नसीब है.

13.मैं अकेला नहीं हूं,
क्योंकि अकेलापन सदैव मेरे साथ है,
मैंने उसे एकांतवास का नाम दिया है.

14.भरोसा खुद पर हो तो ताकत बन जाता है,
भरोसा दूसरे पर हो तो कमजोरी बन जाता है.

15.अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं,
अब मैं,
राशन की दुकान में खड़ा नज़र आता हूं.

16.यदि हम सब साथ में मिल जाएं,
तो परिवर्तन ला सकते हैं,
बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं.

17.उनका भरोसा मत करो, जिनका खयाल वक़्त के साथ बदल जाये,
भरोसा उनका करो जिनका खयाल वैसे ही रहे, जब आपका वक़्त बदल जाये.

18.जिसको जो कहना है कहने दो, अपना क्या जाता है,
ये तो वक्त-वक्त की बात है, और वक्त सबका आता है.

19.वक्त और किस्मत पर कभी घमंड ना करो,
सुबह उनकी भी होती है, जिन्हें कोई याद नहीं करता.

20.खूबसूरत-सा वो पल था,
पर क्या करें, वो कल था.

21.वक्त आता है तो बदल जाती है हर सूरत,
चाँद भी तो हमेशा अधूरा नहीं रहता.

22.सेल्फी निकालना तो सेकेंड्स का काम है,
वक़्त तो इमेज बनाने में लगता है..

23.घड़ी की फितरत भी अजीब है,
हमेशा टिक-टिक कहती है,
मगर न खुद टिकती है और न ही दूसरों को टिकने देती है.

24.लगता था ज़िन्दगी को बदलने में वक़्त लगेगा,
पर क्या पता था बदलता हुआ वक़्त ज़िन्दगी बदल देगा.

25.वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी जैसी है.

22.माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं,
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफनाने का भी वक़्त नही.

23.वक़्त की आँच मे पत्थर भी पिघल जाते है,
खुशी के लम्हे गम में बदल जाते है,
कौन करता है याद किसी को यारा,
वक़्त के साथ खयालात भी बदल जाते है.

24.वक़्त से ज्यादा ज़िंदगी में, कोई भी अपना और पराया नहीं होता.
अगर वक़्त अपना हो तो सभी अपने होते है,
और अगर वक़्त ही पराया हो तो अपने भी पराये हो जाते हैं.

25.कभी एक लम्हा ऐसा भी आता है,
जिसमें बीता हुआ कल नज़र आता है,
बस यादें रह जाती है याद करने के लिये,
और वक़्त सब कुछ लेके गुज़र जाता है.

26.समय बहुत ज़ख्म देता है,
क्योंकि घड़ी में फूल नहीं ‘कांटे’ होते हैं.

27.वक्त नूर को भी बेनूर बना देता है,
वक्त फ़कीर को भी हुजूर बना देता है,
वक्त की कद्र कर ए बंदे,
वक्त कोयले को भी कोहिनूर बना देता है.

28.वक्त दिखाई नहीं देता,
पर दिखा बहुत कुछ देता है.

29.समय के पास इतना समय नहीं,
कि आपको दोबारा समय दे सके.

30.यूँ तो पल भर में सुलझ जाती है उलझी ज़ुल्फ़ें,
उम्र कट जाती है पर वक़्त के सुलझाने में.

31.वक़्त सी फ़ितरत नहीं मेरी कि बुलाने से भी ना आऊँ,
आप आगाज़ करो हम अंजाम तक साथ रहेंगे.

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर- 154

  • लीला तिवानी

    लॉकडाउन की हकीकत जांचने रात में बाइक पर निकले डीएम, सिपाही ने पकड़ा तो ली ‘क्लास’
    आधी रात में लॉकडाउन के बीच एक सिपाही ने बाइक पर जाते शख्स को पकड़ा तो उसकी जमकर क्लास ली। उसे समझाया कि बाहर नहीं निकलना चाहिए और अगली बार निकले तो क्या कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि जिसे वह समझा रहा है वह जिले के जिलाधिकारी हैं।

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