गीत/नवगीत

“कोरोना के विरुद्ध एक युद्ध”

सकल विश्व की पीड़ा साथी मिलकर दूर भगानी है।

अभिवादन का मंत्र पुराना ही हमको अपनाना है
एक फासला बहुत जरूरी पास न बिल्कुल जाना है
धूप, दीप, कर्पूर जलाकर कर देना है खाक इसे
स्वच्छ घरों को रखकर अपने कर दे आज अवाक इसे
धरती पर अनमोल जिंदगी हमको आज बचानी है।

रगड़ – रगड़ के हाथों को भी धोना बहुत ज़रूरी है
छींके , खाँसे कोई अगर तो रखनी तुमको दूरी है
एक तरीका बस इसका है, नित प्रतिदिन व्यायाम करो
शाकाहारी भोजन हर दिन सुबह रात और शाम करो
रक्षण प्रथा याद कर अपनी भक्षण प्रथा भुलानी है।

नजरबन्द हो कोरोना पर छुपकर तीव्र प्रहार करो
सेवा में जो लगे देश की उनका मिल आभार करो
अगर रहोगे घर में अपने तभी चक्र ये टूटेगा
सरपट दौड़ेगा फिर जीवन रोग से पीछा छूटेगा
श्रेष्ठ सनातन संस्कारो की फिर से अलख जगानी है।

……गुंजन अग्रवाल “अनहद”

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*