कविता

हास्य कविता

मेरा पड़ोसी कभी रोटी बना रहा है
कभी चावल बना रहा है
और कभी झाड़ू लगा रहा है
कभी कपड़े धोने बैठ जाता है
मेरी पत्नी दरवाजे के छेद से यह सब देख
मुझे वर्णन सुनाती है
अपने घर का काम करती जाती है
बीच बीच में उसका उदहारण देकर
ताने मुझे मारती जाती है
और इस कारण से झगड़ा हमारे घर हो रहा है
सारी रामायण का महाभारत हुआ जा रहा है
मेरा पड़ोसी न खुद चैन में है और न हमें रहने दे रहा है
हे भगवान
आप तो कर्मों की गणना करते हो
फिर अगली देह देते हो
अगले जन्म में इसे मेरे घर की कामवाली बाई बनाना
पर लॉक डाउन की स्थित कभी न आने देना

ब्रजेश

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*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020