कविता

हर चीज बिकाऊ है

हर चीज यहां बिकाऊ है बस  खरीददार चाहिए जिस्म भी मिलेगा ईमान भी मिलेगा जरूरतमंद की जरूरत क्या है जेब में पैसा रख बाजार निकल जाइए जो भी खरीदना हो खरीद लाईए पैसा एक ऐसी चीज है ईमान वालों का ईमान खरीद ले आदर्शवादियों का आदर्श खरीद ले सत्यवादियों का सत्य खरीद ले सच को […]

कविता

बड़े बनने की होड़

दौर जो यह चल रहा है हर आदमी यहाँ बड़ा बनने की होड़ में दौड़ रहा है भूल रहा है वह जो यह सफर है बड़ा आदमी  बनने का नहीं सिर्फ इंसान बनने का भी है हो सकता है इस दौड़ में बड़ा आदमी तुम बन जाओ पर पड़ी हो तुम्हारे कदमों तले आदमी की […]

कविता

कविता

अब कोई गिला नहीं नहीं कोई रंजिश  जहां से सब अपने हैं मेरे कोई मुझसे जुदा नहीं भाव यह  मन में उदय  हुआ जब से चित सुन्दर हुआ उसी क्षण से मैं तेरा तू मेरा सम भाव की इस भावना  से हो चित  का शुद्धिकरण

कविता

दिन और रात

औरों पर  हँसने  वालों कभी  यह  भी  सोचा तुम भी  बन सकते हो हंसी  के पात्र किसी रोज उस दिन क्या बीतेगी दिल पर तुम्हारे सभी दिन किसी के एक से नहीं होते अंधेरों  के बात उजाला भी  होता है रहे  यह  याद !

कविता

दिल दिमाग

जज़्बात कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें लिखते लिखते हाथ रुक जाते हैं कलम थम जाती है दिल कहे तू लिख दिमाग करे इनकार फिर जंग शुरू होती है दिलो दिमाग के बीच दिल लेता निर्णय भावना से दिमाग करता है तर्क दिल चाहता है बोलना दिमाग है उसको रोकता वो जानता है भावना में […]

स्वास्थ्य

गन्ने के जूस के फायदे

मैं 4 नवंबर से नर्मदा जी की पैदल यात्रा पर निकला हूं. मेरी यात्रा अमरकंटक नर्मदा जी के उद्गम स्थल से प्रारंभ हुई है और नर्मदा जी के दोनों तटों दक्खिन और उत्तर से चल अमरकंटक में ही समाप्त होगी. इस यात्रा के दौरान जब में नरसिंगपुर जिले में पहुंचा तो वहां मुझे गन्ने की […]

कविता

पल दो पल जिंदगी

    जिंदगी की कहानी हो जाए कब खल्लास नहीं कुछ इसका पता चलते चलते कब डगमगा कर राहों में बिखर जाए सुनने देखने वाले बोल उठें अरे यह क्या कल ही तो मुलाकात हुई थी गली के नुक्कड़ पर हर प्रसाद पनवाड़ी की गुमटी पर कह रहे थे यार आजकल तुम चुना ज्यादा लगा […]

स्वास्थ्य

कमल ककड़ी

  अक्टूबर के महीने में मानसून जाते वक्त इतना बरस गया कि सब्जियों की किल्लत कर गया. सब्जी भी काफी महंगी बिक रही थी. कुछ पैसे बचाने की नियत से मैं अपनी सिकंदरा की मंडी पहुंच गया, वहां मेरी नजर कमल ककड़ी जिसे हम भसूडे भी कहते हैं पर पड़ गई. आज की चर्चा उन्हीं […]

कविता

लहू का रंग

लहू की दो बूंद जमी पर दिखी तो यह ख्याल आया यह खून किसका है अमीर का या किसी गरीब का सवर्ण का या फिर किसी दलित का बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक का क्योंकि बूंदों का रंग लाल था उसके बिना कोई पहिचान न थी खून का रंग भी होता अगर पीला नीला या हरा तो […]