क्षणिकएँ
मैं जो भी हूँ कैसा भी हूँ तुम्हारी नज़रों से खुद को क्यों परखूं मुझे परखना है खुद को खुद
Read Moreमैंने पाली इक बिल्ली रोज सुबह जाती साथ मेरे करती वह भी वॉक उछल कूद करती रस्ते भर कभी इधर
Read Moreसत्ता का नशा सिर चढ़ बोलता रुतबा है पैसे की खनक है इसमें तभी तो बेटा पिता से पत्नी पति
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