अंबर स्वच्छ अंतरिक्ष स्वच्छ,
कल कल करती तटिनी स्वच्छ।
वसुधा स्वच्छ वसुंधरा स्वच्छ
उदधि का बहता नीर स्वच्छ।
भूधर स्वच्छ धरणीधर स्वच्छ,
तरू की उपखंड लता स्वच्छ।
ताल तलैया जलाशय स्वच्छ,
मरुत की मंथर गति स्वच्छ।
आलय स्वच्छ देवालय स्वच्छ,
पथ पर चलता पथिक स्वच्छ।
मुद्रा स्वच्छ वित्त विभूति स्वच्छ,
काया का पट परिधान स्वच्छ।
शाक स्वच्छ भोजन स्वच्छ,
आहार की सामग्री स्वच्छ।
उपकरण स्वच्छ हस्त स्वच्छ,
मन की मति गाति भी स्वच्छ।
— निशा नंदिनी भारतीय