आभार देवदूतों का
धन्य हुई है भारत माता , पाकर वीर सपूतों को ।
करते हैं हम हृदय से नमन, धरती के देवदूतों को ।।
महामारी ने पंख फैलाया, भारी संकट है गहराया ।
कोरोना से लड़ने को, सैनिक बन चिकित्सक आया ।।
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे सब पर पड़े ताले हैं ।
साक्षात ईश बनकर , चिकित्सक ही हमें सम्हाले हैं ।।
जन – जन की रक्षा करने को, पुलिस कर्मी सन्मुख हुए ।
भूखे – प्यासे रहकर भी, कर्तव्य से न विमुख हुए ।।
भय से अदृश्य शत्रु के , हम घर में कैद रह रहे ।
पर वाह रे सेवाकर्मियों, तुम निर्भीक हो सेवा कर रहे ।।
आभार मीडिया कर्मियों का , जो काम अनवरत कर रहे ।
नित नई जानकारियों से हमें , नित्य अवगत कर रहे ।।
बड़ा पुनित है कर्म जो, सफाई कर्मी कर रहे ।
जानपर हैं खेलकर , हम पर उपकार कर रहे ।।
ताले नहीं पड़े बैंक पर , काम होता यहाँ जरूरी है ।
धन की कमी पूरी करें , दीनों की हरते मजबूरी है ।।
कोई रोटियाँ पका रहा , क्षुधा सभी की मिटा रहा ।
हालात के मारों को कोई , राहत पहुंचा रहा ।।
कुछ जान जोखिम में पड़ी, कुछ जानें ब्रह्मलीन हुई ।
फिर भी मास्क धारी इन वीरों के, उत्साह में न कमी हुई ।।
है परमशक्ति से प्रार्थना , रक्षा सदा इनकी करें ।
कंटक न आए राह में , ये जहाँ रहें सुरक्षित रहें ।।
— गायत्री बाजपेई शुक्ला