कविता

आभार देवदूतों का

धन्य हुई है भारत माता ,  पाकर वीर सपूतों को ।
करते हैं हम हृदय से नमन,  धरती के देवदूतों को ।।

महामारी ने पंख फैलाया, भारी संकट है गहराया ।
कोरोना से लड़ने को,  सैनिक बन चिकित्सक आया ।।

मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे सब पर पड़े ताले हैं ।
साक्षात ईश बनकर , चिकित्सक ही हमें सम्हाले हैं ।।

जन – जन की रक्षा करने को, पुलिस कर्मी सन्मुख हुए ।
भूखे – प्यासे रहकर भी,  कर्तव्य से न विमुख हुए ।।

भय से अदृश्य शत्रु के  , हम घर में कैद रह रहे ।
पर वाह रे सेवाकर्मियों,  तुम निर्भीक हो सेवा कर रहे ।।

आभार मीडिया कर्मियों का , जो काम अनवरत कर रहे ।
नित नई जानकारियों से हमें  , नित्य अवगत कर रहे ।।

बड़ा पुनित है कर्म जो, सफाई कर्मी कर रहे ।
जानपर हैं खेलकर , हम पर उपकार कर रहे ।।

ताले नहीं पड़े बैंक पर ,  काम होता यहाँ जरूरी है ।
धन की कमी पूरी करें  , दीनों की हरते मजबूरी है ।।

कोई रोटियाँ पका रहा , क्षुधा सभी की मिटा रहा ।
हालात के मारों को कोई , राहत पहुंचा रहा ।।

कुछ जान जोखिम में पड़ी, कुछ जानें ब्रह्मलीन हुई ।
फिर  भी मास्क धारी  इन वीरों के, उत्साह में न कमी हुई ।।

है परमशक्ति से प्रार्थना , रक्षा सदा इनकी करें ।
कंटक न आए राह में , ये जहाँ रहें सुरक्षित रहें ।।

— गायत्री बाजपेई शुक्ला

गायत्री बाजपेई शुक्ला

पति का नाम - सतीश कुमार शुक्ला पता - रायपुर, छत्तीसगढ शिक्षा - एम.ए. , बी एड. संप्रति - शिक्षिका (ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल रायपुर ) रूचि - लेखन और चित्रकला प्रकाशित रचना - साझा संकलन (काव्य ) अनंता, विविध समाचार-पत्रों में ई - पत्रिकाओं में लेख और कविता, समाजिक समस्या पर आधारित नुक्कड़ नाटकों की पटकथा लेखन एवं सफल संचालन किया गया । सम्मान - मारवाड़ी युवा मंच आस्था द्वारा कविता पाठ (मातृत्व दिवस ) हेतु विशेष पुरस्कार , " वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ "काव्य प्रतियोगिता में विजेता सम्मान, विश्व हिन्दू लेखिका परिषद् द्वारा सम्मानित आदि ।