तू नहीं तनहां है बंदे
तू नहीं तनहां है बंदे , मैं तुम्हारे साथ हूं।
चल रहा हूं साथ मे, थामें तुम्हारा हाथ हूं।
छू नहीं पाओगे बस, महसूस करके देख लो,
नजर मैं आता नहीं हूं ,क्योंकि मैं एहसास हूं।
मैं हवा में मैं फ़िज़ा में, हर नज़ारे में हूं मैं,
चांद कि मैं रोशनी, सूरज का जलता ताप हूं।
तू न डरना अंधेरों से, मूंदकर पलकों को देख,
तेरे अंदर झिलमिलाती रूह का मैं चिराग़ हूं।
धड़कनों की गूँज में हूं , दिल से उठती दुआ में,
रूह की आवाज मैं हीं, सांसो की रफ्तार हूं।
फ़लक से ज़मीं तलक, हर शै पे है साया मेंरा,
डूबते का नाख़ुदा , टूटे दिलों की आस हूं।
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”