गीतिका/ग़ज़ल

तू नहीं तनहां है बंदे

तू नहीं तनहां है बंदे , मैं तुम्हारे साथ हूं।
चल रहा हूं साथ मे, थामें तुम्हारा हाथ हूं।
छू नहीं पाओगे बस, महसूस करके देख लो,
नजर मैं आता नहीं हूं ,क्योंकि मैं एहसास हूं।
मैं हवा में मैं फ़िज़ा में, हर नज़ारे में हूं मैं,
चांद कि मैं रोशनी, सूरज का जलता ताप हूं।
तू न डरना अंधेरों से, मूंदकर पलकों को देख,
तेरे अंदर झिलमिलाती रूह का मैं चिराग़ हूं।
धड़कनों की गूँज में हूं , दिल से उठती दुआ में,
रूह की आवाज मैं हीं, सांसो की रफ्तार हूं।
फ़लक से ज़मीं तलक, हर शै पे है साया मेंरा,
डूबते का नाख़ुदा , टूटे दिलों की आस हूं।
 — पुष्पा अवस्थी “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है