बदनाम कोरोना को करो ना…..
वक्त कितना भी बुरा हो, गुजर जाना ही होता है।
हर जख्म की फितरत में, भर जाना ही होता है।
बादल कई फटते हुये, देखे हैं दुनियाँ में –
थोड़ी सी खुदाई फिसली, फिर संभल जाना ही होता है।।
वक्त कितना भी बुरा हो………..
अदना बन गये वो, खुद को खुदा समझने वाले
हर मुसीबत में साथ दूंगा, सबसे से कहने वाले
दहलीज नही लांघी घर की, खैर भी न पूँछ सके-
त्रास में जो साथ दे, वो अपना ही होता है
वक्त कितना भी बुरा हो………..
कहर कुदरत का बरपा है, तेरी हर चाल झूँठी थी।
जख्म बहुत अब तक दिये, तुझसे वो रूठी थी
बदनाम कोरोना को करो ना, ये ठोकर मिली सबको-
हर ठोकर के बाद (राज) संभल जाना ही होता है।।
वक्त कितना भी बुरा हो………..
नाखुदा अब इस खुदाई, के खुदा अब बन गये।
कस्ती फंसी मझधार में, तूफानों से वो ठन गये।
अपनी नामी से तू कह दे, चीरता जाऊंगा मै –
रोज भंवरों से निकलकर, साहिल पे जाना ही होता है।।
वक्त कितना भी बुरा हो………..
राजकुमार तिवारी (राज)