ब्लॉग/परिचर्चा

300 उत्कृष्ट रचनाओं की बधाई: सुदर्शन भाई

हाल ही में अपील, अंधेरों में जो बैठे हैं, ए भाई जरा देख के, और हड़ताल स्थगित हो गई!, बड़े बेआबरू होकर …, नौ फेरे, मोदी: द फैंटम ऑफ़ इंडिया, वो दिखता नहीं, वो देखता है, कोरोनावायरस बनाम कार्निवोर्स जैसी तीन शतक उत्कृष्ट रचनाओं के रचयिता सुदर्शन भाई जी को हमारी बहुत-बहुत बधाई. असल में यह केवल बधाई नहीं, दोहरी बधाई है. पहली बधाई उत्कृष्ट रचनाओं की दूसरी बधाई 300 रचनाओं की यानी तीन शतक पूरे होने की. उत्कृष्ट रचनाओं के रचयिता सुदर्शन भाई की यह सबसे बड़ी विशेषता है, कि चाहे रचना का सृजन करना हो या और कोई काम, उत्कृष्ट एवं परिपूर्ण होना चाहिए. अक्सर काम-काज में अति व्यस्त रहने वाले और कभी-कभी रचनाएं पब्लिश करने वाले सुदर्शन भाई लॉकडाउन के कारण आजकल दिन में 2-2 रचनाएं भी पब्लिश करते हैं.

सुदर्शन भाई के ब्लॉग्स की सबसे बड़ी विशेषता है- उत्कृष्टता. यह उत्कृष्टता हर दृष्टि से है. चाहे वह भाषा हो, शैली हो, शीर्षक हो, प्राकृतिक चित्रण हो, आयु-स्थान-परिवेश के अनुसार पात्रों के नामों का चयन हो, या फिर कथोपकथन हो, सुदर्शन भाई अद्भुत हैं और उनकी लेखनी अद्भुत है. दो साल से भी कम समय में 300 ब्लॉग्स लिखना कोई छोटी बात नहीं है, पर उनका उत्कृष्ट होना सबसे बड़ी विशेषता है. उनका एक-एक ब्लॉग असीम उत्कृष्टता से परिपूर्ण है.

सुदर्शन भाई के ब्लॉग पर आते ही ब्लॉग उपमा-रूपक अलंकारों से अलंकृत और सुशोभित हो जाता है. आप जो भी लिखते हैं, भावनाओं और श्रेष्ठताओं के गहरे सागर में गहरी डुबकी लगाकर लिखते हैं. मजे की बात यह है, कि यह सब सहज भाव से होता है. लेखनी जैसे बहाव की धारा में खुद बहती चली जाती है.

सुदर्शन भाई के लिए जितना भी लिखा जाए कम है. उनके लेखन के अनेक पहलुओं पर हम पहले ही प्रकाश डाल चुके हैं, इस बार हमने उत्कृष्टता को चुना है. आप लोगों की अप्रतिम प्रतिक्रियाएं भी उनके लेखन की उत्कृष्टता की साक्षी हैं.

ब्लॉग ‘देवदूत’ में तेल के कुएं में गिरे एक पिल्ले को 10 साल के बच्चे द्वारा निकालने. उसकी इंसानयित और मासूमियत का जो वर्णन सुदर्शन भाई ने किया, वह अपने आप में बेमिसाल हैं.

‘बूढ़ा फौलाद’ ब्लॉग देखिए. सुदर्शन भाई के ब्लॉग्स में उनके पूजनीय पिताजी का प्रतिष्ठित अक्स प्रतिलक्षित होता है. उनका जैसा लेख है और जैसी लेखनी है उनकी, उसकी मिसाल अन्यत्र मिलना दुर्लभ है.

उनके ब्लॉग ”सलाम … पापा” के बारे में हमने लिखा था-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, सलाम … पापा, सलाम … सुदर्शन, सलाम … सुदर्शन की कलम. कथा तो कमाल है ही, साथ मेँ जो संदेश दिए हैं, वे भी कमाल! पिंकी बेटी कों अपने मेहनतकश पिता पर गर्व है. यह साथ का भी कमाल है। उसकी कक्षा के बाकी बच्चे भी अपने पापा के काम मेँ हाथ बंटाते हैँ, उन पर फख्र करते हैँ , तो पिंकी क्यों नहीं। मन मेँ चाह थी तो मौका भी निकाल लिया। पिंकी के साथ आपको भी स्टैंडिंग ओवेशन मिलना चाहिए। स्टैंडिंग ओवेशन स्वीकार करें. ग़ज़ब का ब्लॉग. अत्यंत सटीक, सार्थक व समसामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

ब्लॉग ”कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा” आपने पढ़ा ही होगा. कहां से बात शुरु होती है और कहां जाकर खत्म होती है! चित्रों का तो कहना ही क्या! इस ब्लॉग के बारे में हमारा कहना है-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, हमेशा की तरह अद्भुत आलेख. चमकते चित्रों से तो अपने कन्हैया भी आकर्षित होकर शीघ्र ही आने को आतुर हो जाएंगे. वे तो सच्ची पुकार के रसिया हैं. अपने घरों में बचे सब्जियों और फलों के छिलके तथा अन्य खाने योग्य पदार्थ अलग से गाय माता को खिलाने और कूड़ा-करकट ढक्कन वाले कूड़ेदान में डालने की प्रतिज्ञा गाय और कौव्वों ने तो सुनी, पर मनुष्य इस पर अमल करना शुरु करे तब न! जरूर करेगा, आखिर कन्हैया को बुलाना जो है! गोपाला, गोपाला, ही तो सबका रखवाला है. अत्यंत सटीक, सार्थक, सकारात्मक व साहित्यिक रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

ब्लॉग ”वो दिखता नहीं, वो देखता है” के चित्र और संदेश देखते ही रह जाते हैं-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, अच्छा है आपने लॉकडाउन के दौरान जैसे-तैसे घर में रहने की व्यवस्था की अन्यथा हमें इतना शानदार-जानदार ब्लॉग पढ़ने को कहां से मिलता! सोशल डिस्टेंसिंग आज की आवश्यकता है, जिसके बारे में आपने वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, पौराणिक कथाओं के साथ प्रकृति के माध्यम से ग़ज़ब की जागरुकता फैलाने में सफलता पाई है. और-तो-और कामेंट्स में भी अनेक उपाय बता दिए. सोशल डिस्टेंसिंग का सबसे बड़ा कारगर उपाय है- खुद सचेत रहना और दूसरों को भी सचेत करना. सभी सचेत रहेंगे, तभी कोरोना का चक्र टूट सकेगा. सोशल डिस्टेंसिंग अपनाइए, सबको बचाइए. अत्यंत सटीक, सार्थक, सकारात्मक, ज्ञानवर्द्धक व उपयोगी रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

सुदर्शन भाई के ह्रदय की उदारता और विशालता देखनी हो तो हमारे ब्लॉग ”गुरमैल भाई द्वारा धन्यवाद-ज्ञापन” में उद्धृत उनकी लिखी प्रतिक्रिया देख लीजिए, जो उन्होंने गुरमैल भाई के जन्मदिन और विवाह की सालगिरह के पावन अवसर पर लिखी थी. इस प्रतिक्रिया में आपको अनेक भाषाओं का सम्मेलन भी दिखेगा तो शेरो-शायरी का निराला अंदाज़ भी. बधाई ऐसे भी दी जाती है, यह उन्होंने हमें सिखाया है. वे सबकी खुशी से दिल से जुड़ जाते हैं, इसलिए उनकी प्रतिभा उन्हें खुद ही राह दिखा जाती है. वे जो कुछ भी लिखते हैं सहज रूप से लिखते हैं, सायास नहीं. यह प्रतिक्रिया विशेष होते हुए विशाल भी है, इसलिए हम यहां नहीं लिख रहे हैं. गुरमैल भाई को इस प्रतिक्रिया में इतना अपनापन दिखाई दिया, कि जवाब में उन्होंने भी सुदर्शन भाई को अपनेपन से सराबोर कर दिया.

सकारात्मक सोच वाले सुदर्शन भाई एक अच्छे सामाजिक कार्यकर्त्ता और देशभक्त तो हैं ही. ”बूंद-बूंद देश के नाम” जैसे ब्लॉग उनकी इसी सोच के परिचायक हैं- इस ब्लॉग के लिए हमने लिखा था-
प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, बूंद-बूंद देश के नाम, सभी सनिकों और रक्तदाताओं को हमारा सादर प्रणाम. ब्लॉग बहुत अच्छा लगा. रोचकता से सराबोर इस ब्लॉग में रक्तदान करने की आवश्यक शर्तों के अलावा कौन-कौन रक्तदान कर सकता, कब-कब कर सकता है और रक्तदान में और बाद में क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिएं, उसकी सम्पूर्ण जानकारी दे गई है. बदल जी का चित्र और आपकी फोटोग्राफी भी ‘बूंद-बूंद देश के नाम’ बोलती-सी लग रही है. अत्यंत सटीक, सार्थक व समसामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

अभी हाल ही में सुदर्शन भाई ने हमें अखिलेश वाणी श्रंखला में भाई अखिलेश से मिलवाया. इस श्रंखला के बारे में हमने लिखा था-

”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, अखिलेश वाणी ने पूरी तरह से मन को झकझोर भी दिया है और अंतर्मन को जगा भी दिया है. जीवन में कामयाबी के लिए और आज कोरोना से लड़ने के सारे कामयाब नुस्खे इस वाणी ने बयां कर दिए हैं. कामयाबी की सबसे पहली शर्त यही है, कि मन में कामयाबी का विश्वास हो. अत्यंत सटीक, सार्थक, सकारात्मक, ज्ञानवर्द्धक व उपयोगी रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

”भीष्म प्रतिज्ञा: सुरेन्द्र गोगी” ब्लॉग में सुदर्शन भाई ने हमें सुरेन्द्र गोगी की अप्रतिम रचना ”भीष्म प्रतिज्ञा” से रूबरू करवाया.

”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, एक महाकवि ने हमें दूसरे महाकवि से इस ब्लॉग में मिलवाया है, भीष्म प्रतिज्ञा का प्रण करवाया है. आज हमें ऐसे ही आह्वान, ऐसी ही ललकारों की आवश्यकता है. कविता की एक-एक पंक्ति आह्वान को भीष्म प्रतिज्ञा देती हुए हमें मजबूत बनने की प्रेरणा दे रही है. अत्यत सटीक, सार्थक और शानदार! अत्यंत सटीक, सार्थक, सकारात्मक, ज्ञानवर्द्धक व उपयोगी रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

इसी तरह ”वाह वाह रच्चण हारया ….” ब्लॉग में अनाम रचनाकार की उत्कृष्ट रचना से रूबरू करवाया और अपने मित्र सरदार गुरदीप सिंह की सहायता से उसका उत्कृष्ट हिंदी अनुवाद भी प्रकाशित किया है. यानी उत्कृष्ट से उत्कृष्ट का मिलन!

सुदर्शन भाई का ब्लॉग ”प्रवीण राय” भी उनके लेखन की उत्कृष्टता की उत्कृष्ट मिसाल है-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, आपने तो हमारी पूरी दिनचर्या की योजना ही बना दी! हमें तो बस इस पर अमल करने की जरूरत है. एक-एक बात काम की बता दी, जीअन के सभी पहलुओं को छू लिया. सच पूछें तो सकारात्मक रहने का यही तरीका है. इसी तरीके की दिनचर्या के चलते कल हमें अपना ब्लॉग तक पहुंचने का समय ही नहीं मिला. चार घंटे दूरदर्शन भी ले लेता है. ये चार घंटे हम भारतीय संस्कृति से पुनः-पुनः परिचित हो रहे हैं. हम अपनी जिस स्किल को निखार रहे हैं, उसकी बानगी तो हम आपको रोज भेज ही रहे हैं, आप भी अपनी डांस स्किल के बारे में हमें कुछ और नया सिखाएं-दिखाएं. अत्यंत सटीक, सार्थक, सकारात्मक, ज्ञानवर्द्धक व उपयोगी रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

”फ़ासले” ब्लॉग के कामेंट्स में पाठक-कामेंटेटर्स की महफिल भी देखने योग्य है. इसी महफिल से जन्मा हमारा ब्लॉग ”दिलखुश जुगलबंदी- 21” जो ब्लॉग ‘फ़ासले’ के कामेंट्स में, रविंदर सूदन और सुदर्शन खन्ना की काव्यमय चैट पर आधारित है.

आप लोग यह तो भलीभांति जानते ही हैं, कि सुदर्शन भाई दिलखुश जुगलबंदी के प्रणेता हैं. संयोग पर संयोग श्रंखला भी सुदर्शन भाई की देन है. सतरंगी सामाचार कुञ्ज हो या विशेष सदाबहार कैलेंडर, सुदर्शन भाई का सहयोग अनिर्वचनीय है. सबके सुख-दुःख में सक्रिय रूप से सहभागी होने वाले बहुआयामी सुदर्शन भाई का लेखन हम सबके लिए प्रेरणा का उत्कृष्ट स्त्रोत हैं. सुदर्शन भाई ज्ञान का भंडार तो हैं ही, उनकी प्रस्तुति भी अद्भुत है. सुदर्शन भाई को संवेदना का साहित्यकार भी कहा जा सकता है. सुदर्शन भाई की एक और विशेषता की झलक आपको उनके ब्लॉग ”थप्पड़” के इस कामेंट में मिल जाएगी-
”प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, थप्पड़ फिल्म के रिलीज होते ही आपने थप्पड़-2 फिल्म की जानदार-शानदार स्क्रिप्ट लिख दी. एक थप्पड़ ने कितना बड़ा काम कर दिया. प्रसाद में छोले-भटूरे भी मिल गए और पढ़ाई-लिखाई भी! बस सपनों के थोड़े-से पंख पसारो. ग़ज़ब का ब्लॉग. अत्यंत सटीक, सार्थक व समसामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई.”

सुदर्शन भाई के लेखन का कैनवास बहुत बड़ा है और हमारी लेखनी अति लघु, इसलिए थोड़ा लिखा अधिक समझें. यों भी सूर्य को देखने के लिए दीपक जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती. सूर्य तो स्वयं ही देदीप्यमान है. इसी तरह सुदर्शन भाई का नाम ही सुदर्शन सहित है, जो स्वयं ही उत्कृष्टता का परिचायक है. आप गूगल पर ”सुदर्शन भाई पर लीला तिवानी के ब्लॉग” लिखकर सर्च करेंगे तो आपको ढेरों ब्लॉग्स मिल जाएंगे.

इसके अतिरिक्त आपको ”सुदर्शन भाई: सालगिरह की बधाई” ब्लॉग में नीचे लिखे सभी ब्लॉग्स के लिंक भी मिल जाएंगे-
विशेषज्ञ सुदर्शन भाई: जन्मदिन की बधाई
मनोविज्ञान के चतुर चितेरे: सुदर्शन खन्ना
संयोग पर संयोग-5
चमकता सितारा (लघुकथा)
उत्साह के फूल
निराले विषयों के निराले युवा लेखक
फिर सदाबहार काव्यालय-1
दिलखुश जुगलबंदी

इसी के साथ ही ”300 उत्कृष्ट रचनाओं की बधाई: सुदर्शन भाई” आलेख को विराम देते हुए आप सबको भी सुदर्शन भाई के लेखन के बारे में अपने विचार प्रकट करने के लिए आमंत्रित करते हैं. सुदर्शन भाई, 300 उत्कृष्ट रचनाओं की बधाई स्वीकारें. प्रभु आपकी लेखनी की रसधारा ऐसे ही प्रवाहित करते रहें.

एक और विशेष आमंत्रण-
3 मई को हमारे एक ब्लॉगर साथी रविंदर सूदन का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन के उपलक्ष में विशेष ब्लॉग के लिए आप कुछ लिखकर भेजना चाहें, तो आपका हार्दिक स्वागत है.

आप लोग भी अपने जन्मदिन और विवाह की सालगिरह की तिथि से हमें अवगत करा सकते हैं. आपकी खुशी में सम्मिलित होने में हमें बहुत खुशी होगी.

सुदर्शन भाई का ब्लॉग
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/sudershan-navyug/

जय विजय में सुदर्शन भाई का ब्लॉग-
https://jayvijay.co/author/sudarshankhanna/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “300 उत्कृष्ट रचनाओं की बधाई: सुदर्शन भाई

  • सुदर्शन खन्ना

    इन दिनों जब समूचा विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है, त्राहि त्राहि कर रहा है, अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, बैंकिंग प्रणाली को झटका लगा है, बचत पर, सावधि जमा पर ब्याज दरें निरंतर प्रभावित हो रही हैं, गिर रही हैं, ऐसे में अपना ब्लॉग की एक बैंकर ‘लीला तिवानी बैंक’ ने मेरी सावधि जमा पर इतना अधिक ब्याज दिया है जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता, और तो और बोनस की भरमार, बोनस यानि कि अन्य लेखक-ब्लॉगर्स-पाठक द्वारा. कोई ऐसा कैसे हो सकता है जो अनगिनत पाठकों ने क्या लिखा, क्या कहा, क्या प्रतिक्रिया की, क्या टिप्पणी की, उन सब की पासबुक अपडेट रखे. मुझे ही अपने ब्लॉगों के बारे में इतना ज्ञान नहीं होगा, जितना आदरणीय दीदी को है. और यह अनुभव अनेक लेखकों ने किया है जिनके सिरमौर हैं आदरणीय दादा गुरमैल जी तथा आदरणीय दीदी कुलवंत जी, जिन्हें हाल ही में आदरणीय दीदी ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में शुभकामनाएं प्रेषित कीं. क़ासिद के आते -आते खत एक और लिख रखूँ, मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में – लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती “ग़ालिब“, हम आप सभी को याद रखते हैं, सीधी सी बात है – इक शौक़ बड़ाई का अगर हद से गुज़र जाए, फिर ‘मैं’ के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता – आदरणीय दीदी, एक बार फिर सादर प्रणाम. आप वो शख्सियत हैं – खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है, मैं वह कतरा हूं समंदर मेरे घर आता है – आपने न जाने कितने ब्लॉगर्स को प्रेरित किया है, ब्लॉगर्स के समुन्दर आपकी रसलीला देखने चले आते हैं – तुम सलामत रहो हज़ार बरस, हर बरस के हों दिन पचास हज़ार !! – हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ‘लीला’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और – ‘मगर लिखवाए कोई उस को खत, तो हम से लिखवाए, हुई सुबह और घरसे कान पर रख कर कलम निकले..’

  • लीला तिवानी

    सुदर्शन भाई, हम प्रारंभ से ही आपके उत्कृष्ट लेखन और उत्कृष्ट रचनाओं के शैदाई रहे हैं. इन दिनों समय कुछ अधिक मिल जाने के कारण आपने सटीक एवं सार्थक उत्कृष्ट चित्रों की सज्जा से ब्लॉग्स को सुसज्जित कर उनकी उत्कृष्टता और रंगत और बढ़ा दी है. अनेक नए रचनाकारों से आप हमें पहले भी मिलवाते रहे हैं, उनसे सदाबहार काव्यालय में मुलाकात भी करवाते रहे हैं और आज भी करवा रहे हैं, जो आपके ह्रदय की उदारता और विशालता का परिचायक है. हमारी मनोकामना है कि आप ऐसे ही उत्कृष्ट लेखन करते रहें और साहित्य को समृद्ध करते रहें.

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