अदृश्य मोब्लिंचिंग
सम्पूर्ण देश में दो अक्टूबर से पूर्णरूपेण खुले में शौचमुक्त होने की सरकारी घोषणा हुई, उसी दिन बिहार में बाढ़ के कारण खुले में शौच कर रहे कुछ लोगों की पिटाई हुई, इनमें दो मरे. शहरी झंडेबरदारों का आक्रोश नदारद है यानी गाँव के लोग मरे हैं, इसलिए इसे बाढ़ से मरनेवालों की सूची में जोड़ दिया गया. अफ़सोस यह है, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बात छोड़िए, सोशल मीडिया में इस मोब्लिंचिंग को कोई नहीं उठाए. अगर ये मृतक दिल्ली, मुम्बई या धनाढ्यों के यहाँ के होते तो अबतक मोमबत्तियों के जुलूस निकल पड़ते !