काल के इस हाल पर
गंभीर इक सवाल है,
आखिर, क्यों महामारी से
दुनियां हुई आज इतनी बेहाल है.?
क्या…?
कुछेक महाशक्ति राष्ट्रों के
वैज्ञानिक दुष्परिणाम का यह महापाप है,
या,
इंसान द्वारा इंसानियत खो देने पर
फलित होता यह अभिषाप है.?
इन प्रश्नों के जंजाल में
फंसा आज सारा ही संसार है,
क्योंकि…
कोरोना वायरस के संक्रमण का
मिलता न अभी तक कोई पारावार है।
कहते हैं,
स्वार्थ अर स्वविकास की दौड़ में
बन जाता मानव जब भी अंधा,
तो…
प्रकृति अर जीव रक्षा के बदले
अवैध हनन तब बन जाता है धंधा।
फिर,
इस अन्याय अर अनाचार के खिलाफ….
दैव-दोष अर प्रकृति-प्रकोप
प्राणी मात्र को है झेलना पड़ता,
और…
कालचक्र के न्यायदण्ड से
समय-समय पर दुःख भी भोगना पड़ता।
काल के इस हाल पर
आज मिलता यही इक जवाब है,
मानवीयता को भूल जाने पर
हो जाता मानव का ऐसा ही हाल है।
अब दिखता हमें
यही इसका सही प्रायश्चित,
कि…
कोई भी प्राणी
ना हो अब हम से कभी पीड़ित।
संक्रमण से बचाव का
तत्काल लगता यही इक उपाय है,
कि…
सावधानीपूर्वक घर में ही रहेंगे तो…
मिल पायेगा तभी जीवन रक्षा का सहाय है।
कोरोनावायरस के प्रकोप से
इंसान बन गया है आज असहाय,
इसलिए…
सतर्कता बरतें अर जागरूक रहें
यही तो है हमारे राष्ट्र नायकों की राय।
स्वयं की रक्षा अर अपनों की सुरक्षा
प्रयास होगा यह सबसे अच्छा,
एकांतवास अर पृथक निवास
समझें उपाय यही अब सबसे अच्छा।
कोरोना है इक ऐसी महामारी
लड़ रही आज जिससे दुनियां सारी,
इसलिए…
अब जल्द ही है कोरोना वायरस के;
इस दुनियां से दूर भागने की है बारी।
और अंत में…
करबद्ध होकर करते रहें हम
ईश से यही इक प्रार्थना,
विश्व मानव रहे सुरक्षित
साकार हो यह सद्कामना; साकार हो यह सद्कामना।।
— शम्भु प्रसाद भट्ट ‘स्नेहिल’