बाल कविता : भोर हो गयी है
भोर हो गयी है
आँखे खोलो
पृथ्वी माता
सूर्य देव को
करो सादर प्रणाम
घर वालों को
सुप्रभात बोलों
जल्दी से उठ
जाओं लाल
करो जीवन में
नित नये कमाल
तैयार होकर
चलों स्कूल
नहीं करना
पढाई में कोई भूल
पढ़ लिखकर
बनना इंसान
करना जीवन में
सदा अच्छा काम
रोशन करना
दुनिया में
परिवार और
देश का नाम
✍️विनायक त्यागी