संतों की निर्मम हत्या षड्यंत्र
महाराष्ट्र के पालघर जिले के गडचिचोली गांव में अपने एक साथी संत श्रीमहंत रामगिरि जी के अंतिम संस्कार में सूरत जा रहे। संत कल्पवृक्ष गिरी 70 वर्ष, सुशील गिरी 35 वर्ष, ड्राइवर नीलेश तेलगड़े के साथ थे, गडचिरोली पहुँचते ही इनकी गाड़ी को वन रक्षक द्वारा रोका गया। लॉक डाउन में परिवहन की आज्ञा न होने के कारण हर वाहन की चेकिंग हो रही थी। तभी कुछ लोगों का समूह भी वहां एकत्र हो जाता है, यह कहना गलत होगा कि अफवाह के कारण सन्तो को मारा गया क्योंकि किसी भी व्यक्ति को जान से मारने के पहले इतना तो पूछा जाता है कि वह कौन है यहां क्यों आया है ? फिर सजा देने का अधिकार कानून व पुलिस का है, फिर भी पुलिस की मौजूदगी में भीड़ सन्तो पर हमला कर देती है, लॉक डाउन और धारा 144 होने के बाद भी एकाएक भीड़ बढ़ने लगती है, ईंट, पत्थर, लाठी से हमला कर देती है, गाड़ी को पलट दिया जाता है, इतना ही नही बीच बचाव में पुलिस को भी चोट आती है, अब भीड़ संतो पर टूट पड़ती है। भीड़ इतनी हिंसक क्यों हुई ? संतो को हाथ जोड़े देखकर भी उनके मन में दया नही आई ? पुलिस जवानों ने फायर क्यों नही किया ? क्या हवाई फायर भी नही हो सकता था जिससे हिंसक भीड़ को भगाया जा सकता था। हो सकता है जिम्मेदार अधिकारी उपस्थित न हो, और सिपाही यह निर्णय न ले पा रहे हो, यह तो जांच का विषय है। खेर महाराष्ट्र सरकार ने रिपोर्ट दर्ज करके अपराधियों को जेल भेज दिया है फिर भी कुछ प्रश्न मन को भीतर तक कचोट रहे है।